प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान होने वाली मुलाकात की उम्मीदें अब खत्म गई हैं. प्रधानमंत्री मोदी इस बार UNGA के सत्र में भाग नहीं लेंगे. यहां भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे. आइए जानते हैं PM मोदी का अमेरिका न जाने का फैसला किस बात का संकेत है और इसके संभावित राजनयिक असर क्या होंगे…
1. भारत का आधिकारिक निर्णय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में अमेरिका की यात्रा नहीं करेंगे. भारत ने आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को सूचित किया है कि इस बार विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. संशोधित स्पीकर लिस्ट में अब विदेश मंत्री का नाम शामिल किया गया है.
2. UNGA की परंपरा और प्रक्रिया
आम तौर पर UNGA स्पीकर लिस्ट प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के नाम से तैयार की जाती है. संबंधित देश जब आधिकारिक रूप से सूचना देता है, तभी लिस्ट अपडेट होती है. भारत ने औपचारिक रूप से जानकारी देकर यह परिवर्तन कराया है.
3. संभावित राजनयिक असर
PM मोदी के अमेरिका नहीं जाने से मोदी-ट्रंप मीटिंग की संभावना खत्म हो गई. UNGA यात्रा के दौरान अक्सर अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकातें होती रही हैं, इस बार ऐसा अवसर नहीं मिलेगा. विशेषज्ञ इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के प्रति भारत के कड़े रुख का संकेत मान रहे हैं.
4. वैश्विक संदर्भ और टाइमिंग का खेल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही मोदी को दोस्त बताते हुए नरमी दिखाने की कोशिश की हो, लेकिन PM मोदी ने दूरी बनाए रखने का संकेत दिया है. इसे क्वाड शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी से भी जोड़ा जा रहा है.
चीन में पिछले हफ्ते हुई SCO बैठक में भारत की सक्रिय भागीदारी और अब अमेरिका से दूरी, दोनों को एक साथ जोड़कर देखा जा सकता है.
5. विदेश मंत्रालय का बयान और अमेरिका से रिश्ते
विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हैं. लेकिन PM मोदी के इस निर्णय को विशेषज्ञ एक खास संदेश के रूप में देख रहे हैं. भारत अब ट्रंप प्रशासन के रवैये को लेकर नरमी बरतने के मूड में नहीं है. यह कदम अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्वतंत्र और मजबूत स्थिति को भी दिखाता है.
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