कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पेट्रोलिंग को लेकर बनी सहमति पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे संतोषजनक बताया, अगर चीन के साथ कोई प्रगतिशील समझौता हुआ है, लेकिन साथ ही गंभीर सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने 2020 से पहले की स्थिति और चीनी अतिक्रमण पर कभी संसद के सामने चर्चा नहीं की. तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अप्रैल और मई 2020 में चीन ने किन क्षेत्रों में अतिक्रमण किया था और वह कितनी गहराई तक किया गया था, इसका जवाब अब तक नहीं मिला है. उन्होंने पूछा कि क्या चीन उन सभी क्षेत्रों से पीछे हट गया है, जहां उसने अतिक्रमण किया था, या देमचोक और देपसांग जैसे पुराने विवाद अब भी बने हुए हैं?
उन्होंने जनवरी 2023 में एक अधिकारी द्वारा लिखे गए पेपर का जिक्र किया, जिसमें बताया गया था कि कराकोरम दर्रा से लेकर चुमार तक के 65 पेट्रोलिंग पॉइंट में से भारत ने 26 पॉइंट पर पहुंच खो दी है. तिवारी ने सवाल उठाया कि क्या अब समझौते के बाद भारत ने उन पेट्रोलिंग पॉइंट तक पहुंच फिर से हासिल कर ली है? उनका कहना था कि विदेश मंत्री और विदेश सचिव द्वारा दी गई जानकारी पूरी तरह से स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है.
समाधान में अस्पष्टता
तिवारी ने सरकार से यह भी पूछा कि चीनी पक्ष द्वारा बात की जा रही समाधान” की प्रक्रिया क्या है? क्या ये समाधान लिखित रूप में हैं, मौखिक हैं, या संघर्ष और असहमति का समाधान है? उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी भी बहुत सारी अस्पष्टताएं हैं, जिनका जवाब सरकार को देना चाहिए. तिवारी ने सरकार से मांग की कि वह संसद में विस्तार से जानकारी दे कि 2020 से पहले की वास्तविक स्थिति क्या थी, चीनी अतिक्रमण किन क्षेत्रों में हुआ था, और क्या चीन उन सभी क्षेत्रों से पीछे हट गया है? उन्होंने यह भी पूछा कि जिन 26 गश्ती बिंदुओं की पहुंच खो गई थी, क्या उन्हें वापस हासिल कर लिया गया है?
‘हम संबंधित मामले पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं’
बता दें कि 21 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय (MEA) ने घोषणा की कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त व्यवस्था के संबंध में एक समझौता हुआ है. यह घोषणा पीएम मोदी की रूस के कजान की यात्रा से पहले हुई. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, हम संबंधित मामले पर एक समझौते पर पहुंच गए हैं, समाधान को लागू करने के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा हम कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से निकट संपर्क में हैं.
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