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अजय राय के बड़बोलेपन से यूपी में बिगड़ा कांग्रेस का खेल, सपा ने यूं ही ब्लॉक नहीं की मझवां सीट

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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस से ज्यादा अखिलेश यादव की पार्टी सपा के निशाने पर अजय राय हैं? यूपी में उपचुनाव को लेकर सपा की तरफ से जारी 6 उम्मीदवारों की सूची के बाद यह सवाल सियासी गलियारों में उठ रहे हैं. सवाल उठने की 2 बड़ी वजहे हैं. पहला, अखिलेश यादव का बयान. मैनपुरी में एक कार्यक्रम के बाद अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी में कांग्रेस से गठबंधन रहेगा.

दूसरा कारण सपा की तरफ से घोषित की गई उम्मीदवारों की सूची है. सपा ने 10 में उन 6 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, जिनमें से 2 सीटों पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी. दिलचस्प बात है कि इन 2 में से एक सीट पर अजय राय चुनाव लड़ना चाहते थे.

रडार पर अजय राय कैसे?

1. मझवां और फूलपुर में उतारे उम्मीदवार- समाजवादी पार्टी ने जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें मझवां और फूलपुर सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. प्रयागराज की फूलपुर या मिर्जापुर की मझवां सीट से अजय राय चुनाव लड़ना चाहते थे.

अजय राय हाल ही में मझवां में कांग्रेस की तरफ से प्रभारी भी घोषित हुए थे. मिर्जापुर की मझवां सीट पर एक वक्त में कांग्रेस का दबदबा रहा है. यहां पर सवर्ण मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 15 हजार के आसपास है, जिसमें 90 हजार ब्राह्मण और 25 हजार भूमिहार हैं.

इन दोनों जातियों के अलावा यहां दलित और बिंद समुदाय की आबादी करीब 60-60 हजार हैं. अजय राय पीडीए समीकरण के जरिए यहां से समीकरण सेट करने की जुगत में थे, लेकिन समाजवादी पार्टी ने ज्योति बिंद को यहां से उम्मीदवार बना दिया है.

मझवां के अलावा राय की नजर फूलपुर सीट पर थी. मुस्लिम और पटेल बाहुल्य फूलपुर में सवर्ण आबादी भी किंगमेकर की भूमिका में रहती है. हालांकि, सपा ने फूलपुर सीट भी नहीं छोड़ी है. पार्टी ने यहां से मुस्तफा सिद्दीकी को उम्मीदवार बना दिया है.

2. अजय राय का खुलकर बैटिंग करना- अजय राय लगातार खुलकर बैटिंग कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि हमें कम न आंका जाए. हमारे आने की वजह से सपा भी मजबूत हुई है. राय ने खुले मंच से 5 सीटों की दावेदारी ठोकी थी.

अजय राय ने यहां तक कह दिया था कि हम अकेले भी लड़ने के लिए तैयार हैं. कहा जा रहा है कि अजय राय की इस तरह की मुखरता ने सपा हाईकमान को असहज कर दिया है. यही वजह है कि पूर्वांचल की सीटों पर सपा ने पहले ही नामों की घोषणा कर दी.

3. अखिलेश और सपा से अजय राय के रिश्ते- भारतीय जनता पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले अजय राय 2009 से 2012 तक सपा में भी रह चुके हैं. 2012 में राय सपा छोड़ कांग्रेस में आ गए.

कहा जाता है कि अजय राय के राजनीतिक रिश्ते अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से बहुत बढ़िया नहीं है. लोकसभा चुनाव से पहले राय लगातार अखिलेश और सपा पर हमलावर थे.

सितंबर 2023 में मऊ की एक रैली में अजय राय ने कहा था कि सपा बीजेपी के लिए काम करती है. राय के इस आरोप पर जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव से सवाल पूछा तो उन्होंने कह दिया कि मैं चिरकुट नेताओं का जवाब नहीं देता.

इससे तमतमाए अजय राय ने भी अखिलेश पर तल्ख टिप्पणी की. हालांकि, प्रियंका गांधी और कांग्रेस हाईकमान के एक्टिव होने की वजह से यूपी में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ.

बड़ा सवाल- अब आगे क्या होगा?

अखिलेश यादव ने साफ-साफ कह दिया है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन रहेगा. अभी सपा ने अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, मोरादाबाद की कुंदरकी और गाजियाबाद की सदर सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.

गाजियाबाद सदर सीट और अलीगढ़ की खैर सीट पर कांग्रेस का जनाधार है. ऐसे में कहा जा रहा है कि ये दोनों सीट सपा कांग्रेस को दे सकती है. हालांकि, सपा की कोशिश सिर्फ एक सीट (गाजियाबाद सदर) की देने की ही है.

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