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चुनावी नतीजों के बीच भारतीय बाजार ने भरी उड़ान, क्या अब चीन के मार्केट से यू-टर्न मारेंगे विदेशी निवेशक?

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जम्मू कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझान आने शुरू हो गए हैं. जिसके मुताबिक, जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की अगुआई वाली गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है तो वहीं हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. इसका असर शेयर बाजार पर देखा जा रहा है. सेंसेक्स 464 अंकों की तेजी के साथ 81,514 पर और निफ्टी-50 157 अंक मजबूत होकर 24,953 पर कारोबार कर रहा है. अब सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या अब बाजार में जो आज रिकवरी देखी जा रही है. वह किसी बड़ी तेजी के पीछे का ट्रेलर है या फिर यह एक छलावा है.

निवेशकों के डूब गए 25 लाख करोड़

बाजार में आई इस तेजी से पहले लगातार 6 ट्रेडिंग सेशन में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों नुकसान में कारोबार करते दिखाई दे रहे थे. निवेशकों के इन 6 दिनों में 25 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए. इसके पीछे एक बड़ा कारण भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना है. बाजार में आई इस बिकवाली से पहले यानी सितंबर के महीने में तो इन्होंने शेयर बाजार में 57 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश कर रिकॉर्ड बना दिया था.

चीन की इकोनॉमी को मिला बूस्टर डोज

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसका प्रमुख कारण चीन को बताया जा रहा है. चीन ने अपनी इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए एक राहत पैकेज का ऐलान किया है. जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों का रुख चीन की ओर चला गया है. पहले बात भारत के शेयर बाजार की बात करें तो सोमवार को सेंसेक्स में 638 अंकों की गिरावट देखने को मिली और सूचकांक 81,050 अंकों पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी में भी 218 अंकों की गिरावट देखी गई थी और 24,795.75 अंकों पर बंद हो गया. खास बात तो ये है कि सेंसेक्स में 26 सितंबर के बाद से अब तक करीब 4,800 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वहीं निफ्टी भी करीब 1,400 अंकों तक डूब चुका है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने भारतीय शेयर बाजार में अपने निवेश को कम कर दिया है. वहीं चीन में अपने इंवेस्टमेंट के वॉल्यूम में इजाफा किया है. सीएलएसए के अनुसार, वह भारत के ओवरवेट को 20 फीसदी से कम कर 10 फीसदी तक कर रहा है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म की मानें तो भारत के शेयर बाजार में तीन कारणों से गिरावट देखने को मिल रही है.

ये है गिरावट के पीछे के 3 कारण

पहला कारण कच्चे तेल की कीमत में उछाल होना है. अक्टूबर के महीने में इसमें 10 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल चुकी है. दूसरा कारण आईपीओ का बूम है और आखिरी कारण रिटेल निवेशकों का शेयर बाजार के प्रति बढ़ता रुझान है. ब्रोकरेज फर्म के एक्सपर्ट का कहना है कि भारत ने चीन के मुकाबले 210 फीसदी बेहतर प्रदर्शन किया है. जिसकी वजह से शेयर बाजार की वैल्यूएशन में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. अब इसी में करेक्शन देखने को मिल रहा है.

क्या अब बाजार में तेजी देखने को मिलेगी?

बाजार में आई इस तेजी को लेकर मार्केट एक्सपर्ट बताते हैं कि बाजार में अभी भी ओवरऑल पॉजिटिव सेंटीमेंट हैं. ऐसे मे मार्केट में अब इतनी बड़ी गिरावट नहीं देखने को मिल सकती है. लेकिन वह आगे ये भी कहते हैं कि बाजार कुछ समय के लिए एक स्टेबल मोड में चला जाएगा. क्योंकि नवंबर-दिसंबर में हेज फंड्स अपना प्रॉफिट बुक करते हैं और वो इस साल भी ऐसा करेंगे. ऐसे में बाजार में थोड़ी गिरावट देखने को मिलेगी, लेकिन इस बीच डोमेस्टिक और FII पैसा डाल देंगे. जिससे वह उतना रिकवर कर लेगा. यानी ओवर ऑल अब मार्केट अपने लाइफटाइम हाई को अगले साल ही ब्रेक कर पाएगा, और बाजार के पॉजिटिव सेंटीमेंट के चलते विदेशी निवेशक भी पैसा लगाएंगे.

चीन ने बदला सीन

इतना ही नहीं आप आज का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स देखिए. जिस तेजी के साथ विदेशी निवेशकों ने वहां पैसा लगाया था, अब वैसे ही वह निकाल भी रहे हैं. सुबह जब कंपोजिट इंडेक्स खुला था तब 3674 पर था लेकिन थोड़ी ही देर में मार्केट 3379 के लो पर चला गया. जो आज के मार्केट के 8 पर्सेंट हाई से 4 फीसदी नीचे है. यानी मार्केट में तेजी आने के बाद 4 फीसदी की गिरावट देखी गई है.

सेम ऐसा ही हाल आप हॉन्गकॉन्ग मार्केट का भी देख सकते हैं. वहां तो मार्केट 7.50% नीचे आ चुका है. जो यह बताता है कि अब भारत से पैसा निकाल कर चीन और हॉन्गकॉन्ग में लगाने की FII की स्पीड पर ब्रेक लग गया है. एक्सपर्ट इसके पीछे दो बड़ा वजह बताते हैं. पहला हरियाणा में बीजेपी का बहुमत के तरफ बढ़ना और दूसरा कारण चीन की सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज का एग्रेसिव तरीके से इम्पैक्ट ना डाल पाना.

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