बीजेपी के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले सासंदों ने शुक्रवार को पीएम मोदी से मुलाकात की. ये मुलाकात संसद भवन में हुई, जिसमें बीजेपी के लोकसभा और राज्यसभा के एसटी एवं एसटी समाज के करीब 75 सांसद मौजूद थे.
बीजेपी के इन एससी एवं एसटी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोटा के भीतर कोटा और क्रीमी लेयर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी पर चिंता व्यक्त की और कहा कि फैसले को लागू नहीं किया जाना चाहिए.
इन सांसदों ने प्रधानमंत्री को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर व्यवस्था और कोटा में कोटा को लेकर पर सर्वोच्च न्यायालय के सुझावों के संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा.
सांसदों ने पीएम को सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन में सांसदों ने पीएम से अपील की कि कोर्ट के फैसले को लेकर एससी एवं एसटी समाज में कंफ्यूजन है और इससे विसंगतियां आएगी, इसलिए इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए.
पीएम ने ज्ञापन पढ़ने के बाद सभी सांसदों को कहा कि क्रीमी लेयर को लेकर जो कोर्ट ने कहा है वो सिर्फ शीर्ष न्यायालय के जजों का सुझाव है और जजों की व्यक्तिगत राय है. पीएम ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार क्रीमी लेयर को लेकर कोर्ट के सुझाव को लागू नहीं करेगी.
पीएम ने सासंदों को ये भी कहा कि केंद्र सरकार की आरक्षण व्यवस्था जारी रहेगी, कोर्ट के सुझाव का आरक्षण व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
आरक्षण व्यवस्था में नहीं होगा बदलाव
पीएम ने एक उदाहरण भी दिया कि अगर कोई समाज से डॉक्टर बन जाता है और अचछा घर बना लेता है तो लोग कहते हैं कि देखो इसने घर बना लिया. पीएम के कहने का मतलब ये था कि एससी एवं एसटी के लोगों को लेकर जो एक समाज की सोच है वो व्यक्ति कितना भी बड़ा हो जाए, जाती नहीं है.
दरअसल, लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने एक नैरेटिव बनाया कि बीजेपी के अगर 300 से ज्यादा सीटें आईं तो बीजेपी संविधान बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी. इस नैरेटिव के चलते बीजेपी को लोकसभा चुनाव में सीटों का नुकसान हुआ.
बीजेपी सांसदों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और टिप्पणी के बाद एक बार फिर से वहीं नैरेटिव बनाने की देश में कोशिश हो रही है. बीजेपी के एससी एवं एसटी सांसदों को क्षेत्र से ऐसे संदेश आ रहे है कि क्रीमी लेयर के नाम पर एससी एवं एसटी के आरक्षण का हक लेने की कोशिश हो रही है. यही वजह है कि बीजेपी सांसदों ने पीएम से मिलकर ये मांग की.
एससी-एसटी में आरक्षण पर पीएम ने कही ये बात
बीजेपी को अपने सांसदों के जरिए ये इनपुट मिला था कि अगर समय रहते इस मुद्दे को एससी एवं एसटी समाज को नहीं समझाया गया था तो इसका नुकसान आगामी विधानसभा चुनाव में हो सकता है.
गौरतलब है कि झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां अच्छी खासी आबादी एससी और एसटी वोटरों की है. बीजेपी को डर था कि अगर विपक्ष के इस नैरेटिव को काउंटर नहीं किया गया तो इन आगामी राज्यों के चुनावों में बीजेपी को नुकसान हो सकता था.
पीएम ने सभी सांसदों को कहा कि आप अपने अपने क्षेत्र में जाइए और समाज के लोगों को सच्चाई बताइए कि आरक्षण की जो व्यवस्था है वो बरकरार रहेगी और उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
दरअसल ये मामला पंजाब का था, जहां एससी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों में से पचास फीसदी सीटें वाल्मीकि और मजहबी सिखों के लिए आरक्षित कर दी गईं थी, जिसके बाद पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा यानी आरक्षण के भीतर आरक्षण पर मुहर लगाई थी. साथ ही कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में एससी, एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमी लेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत पर भी बल दिया था.
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