दिल्ली-एनसीआर में कचरे के निपटारे और प्रबंधन पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि सभी संबंधी प्राधिकारों के साथ दो बैठकें मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में की गईं. दिल्ली, यूपी, हरियाणा के मुख्य सचिवों से मंत्रालय ने एक्शन प्लान ले लिया है. इस हलफनामा में कहा गया है कि हरेक वेस्ट प्लांट को लेकर योजना तैयार है. निर्माणाधीन प्लांट की सूची तैयार कर ली गई है.
हलफनामा में कहा गया है कि हरेक गतिविधि का कैलेंडर सर्वोच्च अदालत के आदेश के मुताबिक तैयार लिया गया है. सभी प्लांट शुरू करने की टाइमलाइन भी तय कर ली गई है.
केंद्रीय मंत्रालय अदालत के आदेश के मुताबिक राज्यों के प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहा है. याद रहे सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाते हुए केंद्रीय मंत्रालय को निगरानी करने और प्लान बनाने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एलजी की थी आलोचना
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि था कि कचरे के निपटारे पर दिल्ली-एनसीपी गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे पर उचित कार्रवाई न करने के लिए उपराज्यपाल (एलजी) की आलोचना की थी.
तीन लैंडफिल साइटों-ओखला, गाजीपुर और भलस्वा पर कूड़े के पहाड़ का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा था कि एलजी के कार्यालय सहित अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिसके कारण दिल्ली गंभीर समस्या का सामना कर रही है.
पीठ ने एलजी कार्यालय द्वारा तैयार की गई ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रणनीति पर राज्य नीति को भी काल्पनिक करार दिया था और कहा कि शायद इसे लागू करना असंभव होगा, क्योंकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए धन नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने की थी ये टिप्पणी
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रणनीति के लिए अपनी नीतियों पर हलफनामा दाखिल न करने के लिए 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों पर जुर्माना भी लगाया था.
इससे पहले इस मामले में 27 मार्च को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़े के ढेर प्रतिष्ठित 73 मीटर ऊंचे कुतुब मीनार की ऊंचाई से मेल खाएंगे और इसके ऊपर से उड़ने वाले विमानों को रोकने के लिए लाल बत्ती का इस्तेमाल करना होगा.
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