लोकसभा चुनाव में बेहतरीन परफॉर्मेंस के बाद सपा की नजर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर है. इंडिया गठबंधन के साथ सपा महाराष्ट्र में कम से कम 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. हालांकि, पार्टी की तैयारी विधानसभा की 35 सीटों पर है. सपा के इस विस्तार नीति को सफल बनाने के लिए अखिलेश यादव ने इंद्रजीत सरोज को महाराष्ट्र का प्रभारी बनाया है.
अखिलेश यादव के कार्यकाल में यह पहली बार है, जब समाजवादी पार्टी ने यूपी से बाहर किसी बड़े राज्य में अपने दिग्गज नेता को प्रभारी बनाकर भेजा है. ऐसे में सियासी गलियारों में इस नियुक्ति को लेकर 2 सवाल हैं. पहला, अखिलेश ने महाराष्ट्र की कमान इंद्रजीत सरोज को ही क्यों दी और दूसरा क्या सरोज महाराष्ट्र में कमाल कर पाएंगे?
इंद्रजीत सरोज को ही कमान को?
बहुजन समाज पार्टी से सपा में आए इंद्रजीत सरोज को संगठन का नेता माना जाता है. सरोज को 2019 में अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव बनाया था. सरोज अब तक कौशांबी, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद के इलाके देखते थे.
2024 में सपा ने इन इलाकों की 4 में से 3 सीटों पर जीत हासिल की. सपा की इस जीत के बाद सरोज के यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की भी चर्चा थी, लेकिन इससे पहले ही अखिलेश ने उन्हें महाराष्ट्र की कमान सौंप दी है.
सरोज पासी (दलित) समुदाय से आते हैं और महाराष्ट्र में इस समुदाय की आबादी करीब 10.5 प्रतिशत है. संख्या के हिसाब से देखा जाए तो महाराष्ट्र की हर विधानसभा में दलितों की आबादी 15 हजार के आसपास है.
महाराष्ट्र में सपा का सबसे बड़ा चेहरा अबु आजमी हैं, जो मुस्लिम समुदाय के बड़े नेता भी माने जाते हैं. राज्य में इस समुदाय की आबादी करीब 11 प्रतिशत है. अखिलेश इन्हीं दोनों समुदाय को जोड़ने के लिए सरोज को प्रभारी बनाकर महाराष्ट्र भेजा है.
महाराष्ट्र में सपा की दावेदारी क्या है?
लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी की प्रदेश इकाई ने एक समीक्षा बैठक की थी, जिसमें अबु आजमी ने महाराष्ट्र की 30-35 सीटों पर मजबूती से तैयारी करने के निर्देश दिए थे. आजमी इसके बाद अखिलेश यादव से मिले थे.
महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के तहत सपा की कोशिश कम से कम 10 सीटों पर लड़ने की है. इसके पीछे पार्टी के 3 तर्क है-
– 2009 में सपा को विधानसभा की 4 सीटों (मनखुर्द नगर, भिवानी ईस्ट, भिवानी वेस्ट और नवापुर) पर जीत मिली थी. 2019 में भी पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी.
– समाजवादी पार्टी 2019 में 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसे कुल 0.69 प्रतिशत वोट मिले थे. 2009 में पार्टी का वोट प्रतिशत 0.74% था.
– समाजवादी पार्टी का महाराष्ट्र के मुंबई अर्द्धशहरी और ठाणे-कोंकण जोन में जनाधार है. इन इलाकों में विधानसभा की करीब 50 सीटें हैं.
इन 2 सिनेरियो से तय होगा सपा का परफॉर्मेंस
महाराष्ट्र में सपा अगले चुनाव में करिश्मा कर पाएगी या नहीं, यह 2 सिनोरियो से तय होगा.
1. इंडिया गठबंधन के सीट बंटवारे में सपा को कितनी सीटें मिलेगी. लोकसभा चुनाव में तमाम प्रयासों के बावजूद सपा को महाराष्ट्र में एक भी सीट नहीं मिली थी. इस बार अगर पार्टी को डिमांड के हिसाब से सीटें नहीं मिलती हैं, तो उसके परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है. कुल मिलाकर महाराष्ट्र में सीट बंटवारा इंद्रजीत सरोज के लिए यह चुनौती पूर्ण रह सकता है.
2. सपा महाराष्ट्र में चुनाव कैसे लड़ती है, यह भी पार्टी के परफॉर्मेंस पर असर डाल सकता है. हालिया लोकसभा चुनाव में सपा को इंडिया गठबंधन के तहत मध्य प्रदेश में एक सीट मिली थी, लेकिन उसके उम्मीदवार का नामांकन ही खारिज हो गया. इस मामले में सपा हाईकमान पर उदासीन होकर चुनाव लड़ने का आरोप लगा था.
महाराष्ट्र में इसी साल होने हैं चुनाव
महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित है. राज्य में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं, जिसमें सरकार बनाने के लिए कम से कम 145 सीटों की जरूरत होती है.
राज्य में मुख्य मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच है. एनडीए में शिवसेना, एनसीपी, बीजेपी, आरपीआई और मनसे जैसे दल है तो दूसरी तरफ इंडिया में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (एसपी) जैसी पार्टियां शामिल हैं.
बहुजन विकास अघाडी और एआईएमआईएम जैसी पार्टियां भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं.
बात समाजवादी पार्टी की करें तो सपा ने 2019 में 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारा था, जिसमें उसे 2 पर जीत मिली. 2014 में उसने 28 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 1 पर जीत मिली.
इंडिया गठबंधन में अगर सपा की दावेदारी बढ़ती है तो कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के सीट शेयरिंग पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. अभी तक यह चर्चा है कि तीनों ही दलों में बराबर-बराबर की सीटें महाराष्ट्र में बंट सकती हैं.
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