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2014 और 2019 से कितनी अलग होगी 2024 की मोदी कैबिनेट, सहयोगी दलों की बढ़ेगी भागीदारी और नए चेहरों को मिलेगा मौका

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प्रधानमंत्री पद से नरेंद्र मोदी के इस्तीफे के साथ ही 17वीं लोकसभा भंग हो गई है. अब तीसरी बार मोदी सरकार के गठन की कवायद शुरू हो गई है. एनडीए ने भले ही 293 सीटों के साथ बहुमत का नंबर जुटा लिया हो, लेकिन बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई. इसका सियासी इफैक्ट यह है कि बीजेपी को अपने सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की मजबूरी होगी, क्योंकि मोदी सरकार 3.0 का सारा दरोमदार उन्हीं पर टिका हुआ है. ऐसे में मोदी कैबिनेट का स्वरूप इस बार 2014 और 2019 से अलग होगा. मोदी कैबिनेट में इस बार सहयोगी दलों की भागीदार बढ़ेगी तो नए चेहरों मंत्रिमंडल में नजर आएंगे.

प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को हुई मीटिंग में नरेंद्र मोदी को एनडीए का नेता चुना गया. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित 16 पार्टियों के 21 नेता शामिल हुए थे. माना जा रहा है एनडीए की सात जून को बैठक होगी और उसी दिन सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा. 2014 और 2019 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा जुटाने में कामयाब रही थी. इस बार पार्टी को 240 के खाते में सीटें आईं हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से 32 सीटें कम हैं. हालांकि, एनडीए 293 सीटों के साथ बहुमत का नंबर जुटाने में सफल रहा, जिसके चलते सरकार बन जाएगी.

सहयोगी दलों पर आश्रित बीजेपी

बीजेपी का बहुमत से 32 नंबर होने से सहयोगी दलों का रोल बेहद अहम हो गया है.एनडीए के घटक दलों की बारगेनिंग पावर बढ़ गया है, क्योंकि उनके सहयोगी के बिना सरकार चलाना आसान नहीं होगा. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए में कुल 24 पार्टियां शामिल है, लेकिन 2024 में 15 दलों के 293 सांसद जीतकर आए हैं. बीजेपी के लिए टीडीपी, जेडीयू, शिवेसना, एलजेपी (आर) और आरएलडी जैसे एनडीए के दलों को साधकर रखना सियासी मजबूरी है.

बीजेपी को मिली 240 सीटों के बाद एनडीए में चंद्रबाबू नायूड की टीडीपी 16 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश कुमार की जेडीयू के 12 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. इसके अलावा एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 7, चिराग पासवान की एलजेपी (आर) के 5 और जयंत चौधरी की आरएलडी के दो सांसद जीतकर आए हैं. ऐसे में टीडीपी से लेकर जेडीयू और शिवसेना जैसे दल फिलहाल बीजेपी के लिए जरूरी है और इनके बिना बीजेपी को सरकार बनाना मुश्किल है. बीजेपी पिछली बार मनमानी करने की स्थिति में थी, लेकिन इस बार सहयोगी दलों के हाथ में सत्ता की चाबी है.

मोदी कैबिनेट में एनडीए का दबदबा होगा

मोदी कैबिनेट में इस बार एनडीए के सहयोगी दलों की हिस्सेदारी अच्छी-खासी रहने वाली है, क्योंकि टीडीपी से लेकर जेडीयू और शिवसेना के बैसाखी के सहारे ही बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति बन रही है. 2019 में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों को केंद्र में एक-एक मंत्री पद दिया था, लेकिन इस बार टीडीपी की डिमांड पांच मंत्री पद की है तो जेडीयू भी तीन से कम मंत्री पद नहीं चाहती है. इसके अलावा शिवसेना और चिराग पासवान भी मंत्री पद की ख्वाहिश में है. इतना ही नहीं एक-एक सीट जीतने वाले जीतनराम मांझी और अनुप्रिया पटेल भी मंत्री बनने की इच्छा रखती हैं.

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