बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर लड़ाई दिलचस्प है. यहां पर एनडीए की ओर से उपेंद्र कुशवाहा लड़ रहे हैं तो भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह निर्दलीय हुंकार भर रहे हैं. मुकाबला इन दोनों दिग्गजों के बीच माना जा रहा है. लेकिन इसी बीच, पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी भी सियासी पिच पर उतर गई हैं. उन्होंने मंगलवार को नामांकन किया. प्रतिमा देवी ने सासाराम के समाहरणालय में जिला निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष पर्चा भरा. पवन सिंह ने भी 9 मई को यहीं से नामांकन किया था. अब उनकी मां ने भी पर्चा भर दिया है तो कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रतिमा देवी का नामांकन करना पवन सिंह का बैकअप प्लान है. अगर पवन सिंह का पर्चा खारिज होता है तो प्रतिमा देवी उपेंद्र कुशवाहा को टक्कर देती नजर आएंगी. पवन सिंह की तरह प्रतिमा देवी ने निर्दलीय पर्चा भरा है. पवन सिंह को पहले बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था. टीएमसी ने इसका विरोध किया था. ममता बनर्जी की पार्टी ने उनके भोजपुरी गानों में बंगाल की महिलाओं के चित्रण को लेकर निशाना साधा था. सोशल मीडिया पर इस विवाद ने काफी तूल पकड़ा था.
इसके बाद पवन सिंह ने पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा था कि टिकट देने के लिए वंदन-अभिनंदन, लेकिन मैं चुनाव नहीं लडूंगा. बाद में पवन सिंह ने काराकाट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था.
पवन सिंह पर प्रेशर
पवन सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान पर बीजेपी उन्हें नामांकन करने से रोकने की काफी कोशिशें की थी. उन्हें दिल्ली भी बुलाया गया था. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि उनके नामांकन के बाद बीजेपी से बाहर कर दिया जाएगा. पवन सिंह नहीं माने और लाव लश्कर के साथ सासाराम जिला मुख्यालय पहुंचे और नामांकन दाखिल किया था.
बिहार के पर्यटन मंत्री प्रेम कुमार भी पवन सिंह को चेतावनी दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर पवन सिंह ने नामांकन वापस नहीं लिया तो उन पर कार्रवाई होगी. ऐसा माना जा रहा है कि इन सारी बातों से परेशान होकर ही पवन सिंह ने अपनी मां को मैदान में उतारा है.
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