ईरान के मिसाइल हमले का जवाब कब और कैसे देना है, इसे लेकर अंतिम फैसला आज यानी गुरुवार को हो सकता है. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुआई में इजराइली वार कैबिनेट एवं सुरक्षा कैबिनेट इस एजेंडे के साथ बैठक करने वाली है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि सहयोगी देशों की सलाह चाहे जो भी हो, लेकिन इजराइल इस बारे में फाइनल फैसला खुद लेगा. इजराइल दौरे पर आए ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों को भी इजराइली प्रधानमंत्री ने अपनी मंशा बता दी है. जानकारी के मुताबिक, ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड कैमरून ने संयम बरतने की सलाह दी थी, मगर इजराइली हमले की सूरत में समर्थन का भी भरोसा दिया है.
13-14 अप्रैल को ईरान की 350 से अधिक मिसाइलों एवं ड्रोन हमले का जवाब देने के लिए इजराइली सरकार और सेना अपना मन बना चुकी है. इजराइल के सामने दोहरी समस्या है. एक तो ईरान पर हमले के लिए अमेरिका हरी झंडी नहीं दे रहा है, वहीं दूसरी ओर हिब्रू यूनिवर्सिटी के एक ओपिनियन पोल के मुताबिक 74 फीसदी लोगों का मानना है कि अगर इजराइल के सहयोगी देश तैयार नहीं है, तो इजराइल को ईरान पर हमला नहीं करना चाहिए.
हिब्रू यूनिवर्सिटी के इस पोल में 1466 लोगों ने हिस्सा लिया था. केवल 26 फीसदी लोगों का मानना है कि इजराइल को हर कीमत पर ईरान को करारा जवाब देना चाहिए. 56 फीसदी लोग यह भी मानते हैं कि इजराइल को अपने पार्टनर देशों की राजनीतिक एवं रणनीतिक मांगों का सकारात्मक जवाब देना चाहिए. 12 फीसदी लोग अमेरिका और दूसरे पार्टनर देशों की चिंताओं की परवाह नहीं करने की बात कह रहे हैं. ओपिनियन पोल में भाग लेने वाले 32 फीसदी लोग ईरान पर हमले को लेकर यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इजराइल और उसके पार्टनर देशों में से किसकी राय सही है.
ईरान पर हमले को लेकर इजराइल के लिए क्या है चुनौती?
इजराइल अपने ऊपर हुए हमले का हर हालत में जवाब देना चाहता है. ईरान पर हमले के लिए इजराइल को अमेरिका और दूसरे पार्टनर देशों की हर हालत में मदद चाहिए. ईरान और इजराइल के बीच 1500 किलोमीटर का फासला है. किसी भी तरह के हवाई हमले के लिए इजराइल को जॉर्डन, ईराक और सीरिया के हवाई क्षेत्र का भी इस्तेमाल करना होगा. ईरान ने 350 से अधिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया था तो इजराइल को जवाबी हमला इससे बड़ा और घातक करना होगा.
इजराइली हमले के लिए मध्य-पूर्व देशों में मौजूद अमेरिकी सैन्य बेस एवं रेड सी और आसपास मौजूद अमेरिका और पार्टनर देशों के एयरक्राफ्ट कैरियर की भी मदद चाहिए. इजराइली सेना ने हमले को लेकर कई तरह के विकल्प सरकार के सामने रखे हैं. ईरान समर्थित हिजबुल्ला या हमास पर इजराइली हमले जारी हैं, लेकिन इसे ईरानी हमले के जवाब के रूप में गिना नहीं जा सकता है. अमेरिका को आशंका है कि इजराइली हमले को समर्थन देने से ईरान भड़केगा और फिर मध्य-पूर्व देशों में अमेरिकी बेस पर हमले का बहाना बनाएगा जिससे ना चाहते हुए भी जॉर्डन, सउदी अरब, कतर, इराक एवं दूसरे देशों को इस जंग में कूदना पड़ेगा.
इजराइल ने हमला किया तो ईरान के पास क्या है विकल्प?
इजराइल पर हमला करके ईरान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि उसके पास मिसाइलों और आत्मघाती ड्रोन की कितनी सैन्य क्षमता है. ईरान की असली परीक्षा अब होगी कि उसका एयर डिफेंस कितना मजबूत है. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने 17 अप्रैल को सेना दिवस के मौके पर संबोधित करते हुए चेतावनी दी है कि अगर ईरान को किसी ने छूने की भी हिमाकत की तो ईरान उस पर घातक और विध्वंसकारी हमला करेगा.
इजराइल के हमले के बाद ईरान पर भी जवाबी हमला करने का दवाब बनेगा. ईरान द्वारा किए जा रहे घोषणा के मुताबिक, ईरान को मध्य-पूर्व में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर भी हमला करना होगा. जानकारों के मुताबिक, मध्य-पूर्व के कई देशों के बीच जंग छिड़ने से रोकने का एकमात्र विकल्प यह है कि इजराइल अपने पार्टनर देशों की सलाह को मानें और ईरान पर हमले की योजना को फिलहाल टाल दे.
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