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ब्रांडेड कैप, क्रिप्टो अकाउंट… ऐसे रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट के आतंकियों तक पहुंची NIA

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बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में एक मार्च को एक ब्लास्ट हुआ था. इस मामले में एनआईए ने दो आरोपियों को पश्चिम बंगाल से हिरासत में लिया है, जिनके नाम मुसाविर हुसैन शाजिब और अब्दुल मतीन अहमद ताहा हैं. एनआईए कोर्ट ने इनकी 3 दिन की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की है. हमले के बाद दोनों गेस्ट हाउस और निजी लॉज में छिपकर रह रहे थे. यह एक बड़ा ऑपरेशन था, जिसमें केंद्रीय खुफिया एजेंसियां, विभिन्न राज्यों की राज्य पुलिस शामिल थीं. कुछ दिनों पहले इस मामले में एनआईए ने यूपी से भी एक शख्स को गिरफ्तार किया था.

ब्लास्ट के लगभग 20 दिनों के बाद जांच एजेंसियों को पता लगा कि यह आदमी कौन था. जब यह शख्स कैफे से बाहर निकलता है तो अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरे पर मास्क और सिर पर एक बेसबॉल टोपी पहने हुए था, लेकिन उसको शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि यह टोपी ही जांच एजेंसियों को उस तक पहुंचा देगी. ब्लास्ट के बाद केंद्रीय अपराध शाखा और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को एक सीसीटीवी फुटेज हाथ लगा.

धार्मिक स्थल में छोड़ी दी अपनी टोपी

इसमें यह शख्स एक बस में चढ़ता है और उसमें लगे कैमरे में कैद हो जाता है. इसके बाद वो कैफे से लगभग 3 किमी दूर एक धार्मिक स्थल में घुस जाता है. अपनी टोपी वहीं पर छोड़ देता है. मगर, तब तक बहुत ज्यादा देर हो चुकी थी. इस बारे में जानकारी मिलने के बाद जांच एजेंसी ने मंगलुरु में कुकर ब्लास्ट में शामिल आतंकी शारिक, माजर मुनीर और एक संदिग्ध आरोपी से पूछताछ की.

उन्हें आईएसआईएस शिवमोग्गा मॉड्यूल मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने इस शख्स के बारे में पुष्टि की और जांच एजेंसियों को भी अब इनका नाम कंफर्म हो चुका था. ये दोनों आईएसआईएस मॉड्यूल मामले में वांटेड थे. इसके साथ ही बरामद टोपी का भी डीएनए टेस्ट कराया गया.

क्रिप्टो अकाउंट का इस्तेमाल

जांच एजेंसियों ने इस मामले में अन्य लोगों का पता लगाना शुरू कर दिया तो पता चला कि इसमें कई लोग शामिल थे. इसके बाद इनको होने वाली फंडिंग को एजेंसियों द्वारा ट्रैक किया गया. पता चला कि वो क्रिप्टो अकाउंट का उपयोग कर रहे थे. इन्होंने जांच एजेंसियों को गुमराह करने और कोई सबूत न छोड़ने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का यूज किया.

जांच के दौरान एजेंसी ने एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाया, जिसने इन आरोपियों से मेल खाती हुई क्रिप्टो अकाउंट की जानकारी दी. जांच एजेंसियों को भटकाने के लिए यह दोनों आतंकी अपना स्थान, अपने कपड़े और खाना खाने के लिए अलग-अलग का यूज कर रहे थे.

जनवरी 2024 में ये लोग चेन्नई आए और बेंगलुरु में विस्फोट करने की अपनी योजना बनाई. इन्होंने बम बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर चीजें खरीदी. इनका पैटर्न मंगलुरु में कुकर ब्लास्ट की तरह था. 9 वेल्ट बैटरी के साथ समान आईडीआईडी का यूज रामेश्वरम कैफे विस्फोट में भी किया गया था. शिवमोग्गा मॉड्यूल को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए एक महत्वपूर्ण हैंडलर जिसे कर्नल के नाम से जाना जाता है, वो शायद अभी भी जांच एजेंसियों की पहुंच से दूर है.

टोपी ने कैसे खोला आतंकी का राज

जिस टोपी को यह शख्स बस में छोड़कर जाता है, वो सामान्य नहीं थी. एक ब्रांड की लिमिटेड एडिशन थी. उस दिन तक इसके केवल 400 पीस बेंचे गए थे. सबसे महत्वपूर्ण बात इस ब्रांड को पूरे दक्षिण भारत में कुछ ही रिटेल स्टोर और ऑनलाइन बिक्री के माध्यम से खरीदा जा सकता था. इसके साथ ही प्रत्येक कैप पर एक सीरियल नंबर होता है, जिसका बारे में खरीददार के बारे में पता लगाया जा सकता है. पुलिस ने उस दुकान का पता लगाया, जिसने टोपी बेची थी. उस दुकान के पास उस दिन का सीसीटीवी फुटेज भी था, जिस दिन यह टोपी बेची गई.

इस्लामिक स्टेट से जुड़े मॉड्यूल के लिए करता है काम

जांच टीम ने इसकी पहचान मुसाविर हुसैन शाजिब के रूप में की. जोकि इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी मॉड्यूल के लिए काम करता है. वो पिछले 4 साल से जांच एजेंसियों की रडार पर है. शाजिब के सिर पर 5 लाख रुपये का इनाम है. उसने ही इस विस्फोट को अंजाम दिया था. इसके बाद एक अन्य व्यक्ति का नाम इस मामले में सामने आया, जिसको अब्दुल मतीन अहमद ताहा के रूप में पहचाना गया.

ये दोनों शिवमोग्गा आईएसआईएस मॉड्यूल के सदस्य हैं. इन्होंने एक दर्जन से अधिक युवाओं के साथ बैठक करके आईएसआईएस की विचारधारा को बढ़ावा देना और आतंकवादी गिरोह बनाने में अहम भूमिका निभाई. इसमें केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के सदस्य थे. 2021 के बाद से राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 10 युवाओं को गिरफ्तार किया है.

क्या है शिवमोग्गा मॉड्यूल

बम धमाके के पीछे जांच में शिवमोग्गा मॉड्यूल का नाम सामने आया था. यह वही मॉड्यूल जिसके ज्यादातर लोग गिरफ्तार हो गए थे, लेकिन एक लापता है. इसके हैंडलर तक पुलिस नहीं पहुंच पाई थी, क्योंकि उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह विदेश चला गया था. इस हैंडलर का कोड नाम कर्नल है. बम को बनाने के लिए तीर्थहल्ली में ट्रायल रन ब्लास्ट किया गया, इसमें ज्यादातर आतंकियों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन शारिक पुलिस की गिरफ्त से बाहर था.

2022 में शारिक कुकर बम लेकर के एक मंदिर में प्लांट करने जा रहा था तो बैंगलर में वक्त से पहले ही उस कुकर बम में ब्लास्ट हो गया. शारिक भी उसमें घायल हुआ, फिलहाल वह सलाखों के पीछे है. तीर्थहल्ली में जो धमाका हुआ था, साथ ही रामेश्वरम कैफे में जो धमाका हुआ है और मैंगलोर में कुकर बम ब्लास्ट तीनों में जिस मटेरियल का इस्तेमाल हुआ था वह एक ही है.

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