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नवरात्रि में कलश स्थापना करने जा रहे हैं? नोट कर लें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट

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हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की अलग-अलग दिन पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है. ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी धरती पर घूमती हैं और भक्तों के दुख दूर करती हैं.

सभी भक्त देवी मां को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान के साथ नवरात्रि की पूजा करते हैं और व्रत या उपवास करते हैं. ज्यादातर लोग नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना भी करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में कलश रखा जाता है, उस घर में माता रानी का वास होता है और वहां हमेशा खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है. तो अगर आप भी नवरात्रि में कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो यहां जान लें कि नवरात्रि में किन-किन पूजा सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है.

नवरात्रि की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री लगती है (Navratri Puja ka Saman)

माता की तस्वीर या मूर्ति, कलश, गंगाजल , मौली, सिंदूर रोली, अक्षत, सिक्का, गेहूं या अक्षत, कुमकुम, आम के पत्ते का पल्लव (5 आम के पत्ते की डली, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, कलावा, गेहूं या जौ, पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, सिंदूर, लाल वस्त्र, जटा वाला नारियल, इलायची, फल या मिठाई, हनव कुंड, अगरबत्ती, चौकी के लिए लाल कपड़ा, दुर्गासप्तशती किताब, साफ चावल, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों की माला, लौंग, कपूर, बताशे, पान, सुपारी, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी.

अखंड ज्योति के लिए सामग्री

अगर आप 9 दिनों तक अखंड ज्योति को प्रज्वलित करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी सामग्रियों में से मुख्य हैं –

  • अखंड ज्योति का दीया
  • अंदर इस्तेमाल होने वाली बत्ती
  • पूजा में इस्तेमाल होने वाला घी या तिल का तेल
  • माचिस

अगर आप अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रहे हैं तो इसे आग्नेय कोण में जलाना शुभ माना जाता है.

कलश स्थापना के लिए सामग्री (Navratri Kalash Sthapana Samagri)

नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए मुख्य रूप से पीतल, तांबे या मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र , कलावा, नारियल, छोटी लाल चुनरी, आम के पत्ते, जौ , सिंदूर, जल, दीपक, बालू या रेत, तिल का तेल या घी, मिट्टी. कलश स्थापना के समय सबसे पहले मिट्टी के एक पात्र को जमीन में थोड़ी सी बालू या रेत डालकर रखें और इसमें मिट्टी डालकर जौ डाल दें. इस पात्र के बीचों बीच कलश में पानी भरकर रखें. कलश के ऊपर आम के 5 या 7 पत्ते रखें और एक छोटी कटोरी ढककर उसके ऊपर चुनरी में नारियल लपेटकर रख दें. कलश में कलावा बांधें और उसके ऊपर सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं.

माता रानी के श्रृंगार का सामान (Navratri Mata Rani Shringar saman)

श्रृंगार के सामान में माता को पूरे सोलह श्रृंगार चढ़ाने का विधान है, इसलिए पूरी सामग्री ध्यान से इकट्ठी करें. इन सामग्रियों में मेहंदी, बिंदी, लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल चुनरी, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आलता, बिछिया, दर्पण, कंघी, महावर, काजल, चोटी, पायल, इत्र, लाल चुनरी, पायल, कान की बाली, नाक की नथ, मेहंदी आदि सामान शामिल करें.

नवरात्रि की चौकी कैसे सजाते हैं (Navratri Mata ki Chauki)

माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करने के लिए सबसे पहले साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माता की तस्वीर या मूर्ति रखें. उसके बाद माता को टीका लगाएं और पूरा श्रृंगार का सामान अर्पित करें. मान्यता है कि नवरात्रि में माता रानी को श्रृंगार का सामान अर्पित करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

माता के पूजा में कलश के नीचे रखे पात्र में जौ बोना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि अगर ये जौ हरे-भरे निकलते हैं तो घर में सुख समृद्धि आती है और अगर ये जौ मुरझाए हुए निकलते हैं तो यह भविष्य में होने वाले किसी अशुभ घटना का संकेत हो सकता है. इसके अलावा पूजा सामग्री में मुख्य रूप से बंधनवार होता है जिसे नवरात्रि के शुरू होने पर अपने मुख्य द्वार पर सजा सकते हैं, जिससे माता के आगमन की होता है. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में घर में शुद्ध देसी घी का दीपक जलाने से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और घर में खुशहाली बनी रहती है.

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