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पत्नी को कहा था ‘सेकंड हैंड’ अब देने होंगे 3 करोड़ और 1.5 लाख महीना, कोर्ट का फैसला

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हनीमून पर अपनी पत्नी को ‘सेकंड हैंड’ कहना पति को भारी पड़ गया. अब पति को इसके एवज में पीड़ित पत्नी को 3 करोड़ रुपये का मुआवजा देना होगा. हर महीने 1.5 लाख का गुजारा भत्ता भी पति अपनी पीड़ित पत्नी को देगा. दोनों ने मुंबई में जनवरी 1994 में शादी की थी. बाद में दोनों अमेरिका चले गए.

मामला पहले मुंबई की निचली अदालत पहुंचा. जहां पीड़ित पत्नी ने शिकायत दर्ज की. निचली अदालत ने आरोपी पति को मुआवजा व गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया. पति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जिसे खारिज कर दिया गया. अब आरोपी पति को कोर्ट के निर्देश का पालन करना होगा.

हनीमून पर पति ने बोला ‘सेकंड हैंड’

पीड़िता ने शिकायत करते हुए बताया था कि 1994 में दोनों की शादी हुई थी. हनीमून के लिए वह दोनों नेपाल गए थे. इस दौरान उसके पति ने उसे ‘सेकंड हैंड’ बोला था. दरअसल, पीड़िता की पिछली सगाई टूट गई थी. पीड़िता ने बताया बाद में दोनों पति-पत्नी अमेरिका चले गए. अमेरिका में भी उन्होंने शादी समारोह आयोजित किया था. कुछ दिनों बाद आरोपी पति पीड़िता के साथ मारपीट करने लगा. उसके चरित्र पर शंका करने के साथ झूठे आरोप लगाने लगा. इसी बीच दोनों पति-पत्नी 2005 में वापस मुंबई लौट आए और संयुक्त स्वामित्व वाले मकान में रहने लगे. साल 2008 में पत्नी अपने मायके अपनी मां के पास चली गई. इधर, साल 2014 में पति वापस फिर से अमेरिका लौट गया.

पीड़िता ने की कोर्ट में शिकायत

पीड़िता ने परेशान होकर साल 2017 में इसकी शिकायत मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत की. पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि कोर्ट में उसके मां, भाई और चाचा ने की. कोर्ट ने माना कि पीड़िता घरेलू हिंसा का शिकार शिकार हुई है. जनवरी 2023 में कोर्ट ने आरोपी पति को मुआवजे के रूप में तीन करोड़ रूपये, दादर में मकान खोजने वहीं, वैकल्पिक तौर पर घर के लिए 75 हजार रुपये और हर महीने 1.5 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.

पति पहुंचा था बॉम्बे हाईकोर्ट

ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को आरोपी पति ने हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है जिमसें पीड़ित पत्नी को तीन करोड़ मुआवजा और डेढ़ लाख रुपये गुजारा भत्ता दिए जाने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख ने सुनाए गए आदेश में कहा कि यह राशि महिला को न केवल शारीरिक चोटों के लिए बल्कि मानसिक यातना और भावनात्मक परेशानी के मुआवजे के रूप में दी गई है.

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