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जांच के दायरे में रही फार्मा कंपनियों ने कोविड काल में खरीदे थे अरबों के चुनावी बांड

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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद चुनाव आयोग की साइट पर अपलोड की गई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) जानकारी को लेकर मीडिया में एक ऐसा विश्लेषण सामने आया है, जिसमें कई फार्मा कंपनियों ने प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.), आयकर विभाग (आई.टी.) या अन्य नियामक कार्रवाई के बाद करोड़ों के चुनावी बांड्स की खरीद की थी। हैरत की बात तो यह है कि फार्मा कंपनियों द्वारा अरबों की बांड खरीद का यह खेला कोविड काल के दौरान हुआ है। इनमें काेविड वायरस की दवा बनाने वाली कंपनियां भी शामिल थीं।

हेटेरो फार्मा ने खरीदे थे 55 करोड़ के बांड
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 6 अक्टूबर, 2021 को, छह राज्यों में हेटेरो फार्मास्युटिकल समूह के कार्यालयों पर छापेमारी के बाद आयकर विभाग ने 550 करोड़ रुपए की बेहिसाब आय का पता लगाने की सूचना दी थी। उसी छापे में, विभाग ने ₹142 करोड़ नकद और दस्तावेजों, यूएसबी ड्राइव और “डिजिटल मीडिया” में संग्रहीत कथित तौर पर आपत्तिजनक “सबूत” भी जब्त किए थे। अप्रैल 2022 में हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड  ने 20 करोड़ रुपए के चुनावी बांड खरीदे थे। उसी वर्ष दिसंबर में विशाखापत्तनम जिले के एक गांव के निवासियों ने स्थानीय अधिकारियों से हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, उन्होंने आरोप लगाया था कि उसने आवश्यक मंजूरी के बिना तीन फीट चौड़ा और 4 किमी लंबा पाइप बिछाया था। कुल मिलाकर इन दोनों फर्मों ने 55 करोड़ रुपए के बांड खरीदे थे।

एम.एस.एन. फार्माकेम ने दान किए 26 करोड़
हैदराबाद स्थित एम.एस.एन. फार्माकेम प्राइवेट लिमिटेड पर 24 फरवरी 2021 में आई.टी. विभाग के अधिकारियों ने एम.एस.एन. फार्मा समूह के अकाउंट्स में 400 करोड़  रुपए की बेहिसाब आय और 1.6 करोड़ रुपए नकद पाए जाने का आरोप लगाया था। 20 जनवरी 2022 तक  एम.एस.एन. भारत में जेनेरिक दवाओं के 10 निर्माताओं में से एक था, जिसने कोविड-19 एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर के उत्पादन और 105 देशों में इसकी आपूर्ति के लिए उप-लाइसेंसिंग समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। अप्रैल 2022 में एम.एस.एन. ने 20 करोड़ के बांड खरीदे थे। इसके अलावा कंपनी ने 16 नवंबर, 2023 को 6 करोड़ रुपए के चुनावी बांड की एक और किश्त खरीदी थी।

डिवीज लैब्स ने दिए 20 करोड़
डिवीज लैब्स ने 5 जुलाई 2023 को 20 करोड़ के चुनावी बांड खरीदे थे। इसी वर्ष 11 अक्टूबर को उसने बांड की 35 करोड़ की एक और किश्त खरीदी थी। महामारी के दौरान डिवीज ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और फेविपिराविर के निर्माण के लिए एक स्वदेशी प्रक्रिया विकसित की थी। इन दो पुनर्निर्मित दवाओं को भारत सरकार ने 2020 में कोविड -19 के खिलाफ उपयोग के लिए मंजूरी दे दी थी। हालांकि कहा जाता है कि वैज्ञानिक सबूत इन दवाओं की प्रभावकारिता के दावों का खंडन करते थे। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आई.टी. विभाग ने 2019 में 14 से 18 फरवरी को कंपनी के मुख्यालय, अनुसंधान केंद्र और विनिर्माण स्थलों पर छापा मारा था और कोई अनियमितता नहीं मिलने की सूचना दी थी।

इंटास ने भी खरीदे लिए थे 20 करोड़ के बांड
इंटास फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड कंपनी ने भी 10 अक्टूबर को 20 करोड़ के चुनावी बांड की खरीद की थी। इस कंपनी का 22 नवंबर से 2 दिसंबर 2022 में अमरीका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) ने अहमदाबाद में निरीक्षण किया था और इसकी दवा की गुणवत्ता नियंत्रण में विफलता के आरोप लगाए थे। एफ.डी.ए. के निरीक्षण के बाद कंपनी की कीमोथेरेपी दवा की आपूर्ति को बाधित कर दिया था, जिसे अमरीका में सिस्प्लैटिन कहा जाता है।

18 करोड़ के साथ ल्यूपिन फार्मा भी बनी दानी
ल्यूपिन फार्मा को 2022 के अंत में ल्यूपिन को भारत में अपनी चार सुविधाओं में कथित तौर पर कम दवा बनाने की स्थिति के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) द्वारा फटकार लगाई गई थी। कंपनी ने 25 जनवरी 2023 को 18 करोड़ के बांड खरीदे थे। एफ.डी.ए. ने मार्च 2023 में पीथमपुर, मध्य प्रदेश में ल्यूपिन का एक और निरीक्षण किया था, और आपत्तिजनक स्थितियों पर सवाल उठाए थे। इन कमियों को सुधारना ल्यूपिन पर निर्भर था।

मैनकाइंड ने एक बार ही खर्चे 24 करोड़
मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड ने  मई 2023 में 4,326 करोड़ रुपए के अपने आई.पी.ओ. जारी करने से कुछ महीने पहले 11 नवंबर 2022 को 24 करोड़ के बांड खरीदे थे यह इसका एकमात्र लेनदेन था। दो दिन बाद आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोप में मैनकाइंड के परिसरों पर छापा मारा था।

बुखार की दवा डोलो ने भी खर्च किए 16 करोड़
आई.टी. विभाग ने 6 जुलाई 2022 को बेंगलुरु स्थित फार्मास्यूटिकल्स प्रमुख माइक्रो लैब्स लिमिटेड के 40 से अधिक कार्यालयों की तलाशी ली थी। माइक्रो लैब्स सर्वव्यापी पेरासिटामोल टैबलेट डोलो 650 की निर्माता है। अधिकारियों ने इसके मालिकों के आवासों की भी तलाशी ली थी। उसी महीने भारत सरकार ने कहा था कि छानबीन में पता चला है कि कंपनी द्वारा चिकित्सा पेशेवरों को 1,000 करोड़ रुपए की अनैतिक प्रथाओं और मुफ्त उपहार देने पर्याप्त सबूत मिले हैं। एक महीने बाद माइक्रो लैब्स ने 6 करोड़ के चुनावी बांड खरीदे थे। इसके अलावा इनमें 15 नवंबर 2022 को 3 करोड़ रुपए का एक अतिरिक्त सेट और 9 अक्टूबर 2023 को 7 करोड़ रुपए का एक और सेट शामिल था। जिससे बांड की कुल खरीद 16 करोड़ हो गई थी।

नैटको फार्मा ने पार्टियों को दिए 69 करोड़
नैटको फार्मा ने भी  5 अक्टूबर 2019 को 25 लाख रुपए और अक्टूबर और नवंबर 2023 में 32 करोड़ रुपए के बांड खरीदे थे। कुल मिलाकर नैटको ने 69.25 करोड़ के बांड की खरीद की थी। 5 से 9 अगस्त 2019 तक यू.एस. एफ.डी.ए. ने हैदराबाद के पास मेकागुडा में एक नैटको का निरीक्षण किया था। इसी तरह 2023 में 9 से 18 अक्टूबर तक तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में नैटको सुविधा के निरीक्षण के बाद एफ.डी.ए. को कथित तौर पर अशुद्ध और खराब रखरखाव वाले उपकरण मिले थे जो वहां बनाई जा रही दवाओं को दूषित कर सकते थे।

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