उमरिया। बाघिन स्पाटी और त्रिशूलधारी बाघ की संतान नर बाघ सेवन ए ने पचपेड़ी-बिरहुली में अपनी बादशाहत कायम कर ली है। इस विशालकाय बाघ को पचपेड़ी और बिरहुली के पास लंबे समय बाद लगातार देखा जा रहा है। यहीं उसने एक बाघिन को अपना हमसफर बना लिया है, जो उसके साथ ही नजर आती है। इन दोनों की तीन संतानें भी हो चुकी हैं। पूरा कुनबा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
रोमांचित करने वाली जीवन गाथा
नर बाघ सेवन-ए की जीवन कथा रोमांचित करने वाली है। स्पाटी और त्रिशूलधारी के मेल, जिसे चक्रधरा मेल के नाम से भी जाना जाता था, का सबसे बोल्ड नर शावक सेवन-ए है। इसका नाम सेवन-ए इसलिए पड़ा, क्योंकि इसके माथे पर धारियों से सेवन और ए की आकृति बनी हुई है। गाइड और जिप्सी चालकों ने इसे इसी आकृति की वजह से सेवन-ए के रूप में पहचान दे दी। सेवन-ए स्पार्टी और चक्रधर के तीन नर शावकों में से एक है।
ताला से दूर बनाया साम्राज्य
सेवन-ए ने ताला परिक्षेत्र से काफी दूर जाकर अपनी बादशाहत कायम की है। इसके लिए उसे खितौली होते हुए पचपेड़ी और बिरहुली बफर तक का लंबा सफर तय करना पड़ा। ताला से बिरहुली पचपेड़ी तक के सफर में सेवन ए को निश्चित रूप से कई बाघों का सामना करना पड़ा होगा। कुछ दिनों पहले ताला परिक्षेत्र के शेषशया किला मार्ग में एक नर शावक की मृत्यु हो गई थी, जो कि सेवन-ए का भाई था। पिछले वर्ष मां स्पाटी की मृत्यु के बाद तीनों नर शावक अलग हो गए और सभी ने अपना-अपना एरिया बना लिया। फिलहाल, अपने कुनबे के साथ सेवन-ए पचपेड़ी और बिरहुली क्षेत्र के दूसरे बाघों के लिए चुनौती बना हुआ है।
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