Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

Basant Panchami 2024 Date: इस साल कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी, नोट करें तिथि, मुहूर्त व पूजा विधि

12

इंदौर। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व देवी सरस्वती को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती की आराधना करने से देवी लक्ष्मी और मां काली भी प्रसन्न होती हैं।

कब है बसंत पंचमी 2024?

पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02.41 बजे से शुरू होगी। अगले दिन दोपहर 12.09 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 14 जनवरी को है। इस लिए बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी 2024 पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.01 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा। पूजा के लिए 5 घंटे 35 मिनट का समय है।

बसंत पंचमी 2024 पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले या सफेद रंग के कपड़े रहनें। फिर सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा घर पर देवी सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। माता को गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद पीले पुष्प, अक्षत, सफेद चंदन, धूप, दीप आदि अर्पित करें। इस दिन पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

सरस्वती वंदना और मंत्र के साथ पूजा करनी चाहिए। आप चाहें तो सरस्वती कवच का पाठ कर सकते हैं। ओम श्री सरस्वत्यै नमः मंत्र का जाप करते हुए हवन करें। फिर अंत में माता सरस्वती की आरती करनी चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.