हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक, यदि गुरु पर्वत के नीचे सूर्य, शनि तथा मंगल रेखाओं का संबंध होता हो तो शीतला योग होता है।
- यदि किसी व्यक्ति की हथेली में राहु रेखा जंजीरदार होती है तो इससे सर्प भय योग निर्मित होता है।
- यह योग जिन लोगों के हाथों में होता है, उन्हें जीवन में सर्पदंश का भय लगा रहता है।
- यदि हथेली में ये रेखाएं दृढ़ और स्पष्ट दिखाई देती है तो सर्प के काटने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है।
धर्म डेस्क, इंदौर। हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के योग के बारे में विस्तार से जिक्र मिलता है, जिनके आधार पर कोई भी व्यक्ति हाथ की रेखाओं के आधार पर भविष्य के संकेत प्राप्त कर सकता है। हस्तरेखा शास्त्र के जानकार डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली ने अपनी किताब ‘वृहद हस्तरेखा शास्त्र’ में शीतला योग, सर्प भय योग और ग्रहण योग के बारे में विस्तार से जिक्र किया है।
हथेली में शीतला योग
हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक, यदि गुरु पर्वत के नीचे सूर्य, शनि तथा मंगल रेखाओं का संबंध होता हो तो शीतला योग होता है। जिन लोगों के हाथों में शीतला मोग होता है, उन्हें अपने जीवन काल में कभी चेचक के रोग से होने की आशंका रहती है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
सर्प भय योग
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में राहु रेखा जंजीरदार होती है तो इससे सर्प भय योग निर्मित होता है। यह योग जिन लोगों के हाथों में होता है, उन्हें जीवन में सर्पदंश का भय लगा रहता है। यदि हथेली में ये रेखाएं दृढ़ और स्पष्ट दिखाई देती है तो सर्प के काटने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है। इसके अलावा हथेली में मणिबंध भी जंजीरदार होता है तो सर्पदंश से मौत हो सकती है।
ग्रहण योग
हथेली में यदि राहु और चंद्रमा की रेखाएं परस्पर सुदृढ़ता के साथ मिलती है तो ग्रहण योग निर्मित होता है। हथेली में यह योग होता है, तो व्यक्ति को जीवन भर परेशानियों से ग्रस्त रहना पड़ता है। लगातार कई बाधाएं आती है। ऐसे व्यक्ति जीवन में कई बार में हीन भावना के शिकार हो जाते हैं।
डिसक्लेमर
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