इंदौर। फर्जी दस्तावेजों के जरिए कागज पर कंपनियां बनाकर बैंक को पौने आठ करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में विशेष न्यायालय ने बैंक के मुख्य प्रबंधक सहित नौ आरोपितों को पांच-पांच वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने 20-20 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है।
फर्जी दस्तावेजों से लोन
मामला वर्ष 2011 का है। घोटाले के मास्टर माइंड का नाम इंदौर निवासी मोहन यादव है। उसने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर अलग-अलग कंपनियां बनाईं और ओबीसी बैंक के मुख्य प्रबंधक नरेश कुमार के साथ मिलकर अपने परिवार के सदस्य संदीप यादव, कैलाश यादव, दीपक यादव, मनमोहन यादव, राकेश चौधरी, अनिल पटेल और रजनी यादव के नाम से बैंक से करीब पौने आठ करोड़ रुपये का ऋण हासिल कर लिया। बैंक प्रबंधक ने दस्तावेजों के फर्जी होने की जानकारी होने के बावजूद ऋण की स्वीकृति दी।
सीबीआइ ने दर्ज किए थे आठ प्रकरण
मामला सामने आने के बाद सीबीआइ ने आठ प्रकरण आरोपितों के विरुद्ध दर्ज किए थे। सभी की सुनवाई विशेष न्यायाधीश सुधीर मिश्रा के समक्ष चल रही थी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने सीबीआइ और सभी आरोपितों की ओर से तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसे बुधवार को जारी किया गया। विशेष न्यायालय ने प्रकरण में मोहन यादव, बैंक के मुख्य प्रबंधक नरेश कुमार, संदीप यादव, कैलाश यादव, दीपक यादव, मनमोहन यादव, राकेश चौधरी, अनिल पटेल को पांच-पांच वर्ष और रजनी यादव को तीन वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई।
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