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‘घर से विदा लेने का समय नजदीक आ गया है’, संसद में स्मोक अटैक करने वाले सागर शर्मा की डायरी से हुए बड़े खुलासे

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लोकसभा कक्ष में ‘केन’ से पीला धुआं फैलाने के आरोपी लखनऊ निवासी सागर शर्मा ने अपनी डायरी में लिखा था कि घर से विदा लेने का समय नजदीक आ गया है। पुलिस अधिकारियों ने यहां बताया कि सागर शर्मा (28) के परिवार के सदस्यों ने डायरी स्थानीय पुलिस को सौंप दी है जिसे मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस को भेज दिया गया है। हिंदी में लिखी गई सागर की डायरी में 2015 से 2021 तक की प्रविष्टियाँ शामिल हैं। उसकी ये प्रविष्टियाँ नियमित नहीं हैं और इनमें क्रांतिकारियों के कुछ विचारों से लेकर कविताएं तथा उनके विचार दर्ज हैं।

कुछ भी कर गुजरने की आग भी दहक रही है
छह फरवरी, 2021 को दर्ज ऐसी ही एक प्रविष्टि में सागर ने लिखा, “घर से विदा लेने का समय नजदीक आ गया है। एक तरफ डर भी है और दूसरी तरफ कुछ भी कर गुजरने की आग भी दहक रही है। काश, मैं अपनी स्थिति माता-पिता को समझा सकता, मगर ऐसा नहीं है कि मेरे लिए संघर्ष की राह चुनना आसान रहा।” उसने लिखा, “मैंने पांच साल तक प्रतीक्षा की है कि एक दिन आएगा जब मैं अपने कर्तव्य की ओर आगे बढूंगा।” सागर ने यह भी लिखा, ”दुनिया में ताकतवर व्यक्ति वह नहीं है जो छीनना जानता है, ताकतवर व्यक्ति वह है जो हर सुख त्यागने की क्षमता रखता है।”

पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि सागर कुछ किताबें रखता था जिनमें खोजी उपन्यास और एडोल्फ हिटलर के ‘मीन कैम्फ’ का हिंदी अनुवाद शामिल है। पिछली प्रविष्टियों में सागर ने प्रत्येक पृष्ठ के शीर्ष पर ‘इंकलाब जिंदाबाद’ लिखा है। प्रविष्टियों में स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल की प्रसिद्ध कविता “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है,” तथा उनके विचार भी हैं। बारह जून 2015 की एक प्रविष्टि में सागर ने लिखा, “उठा सके यह आवाज, कोई दुश्मन इस ताक में बैठे हैं, लुट रही इज्जत बेटियों की सरेआम यहां, फिर हम सब्र रखकर हाथ पे हाथ धरे बैठे हैं।”

अब आ गई बारी वतन पे मरने की
सागर ने डायरी में यह भी दर्ज किया है, ”मैं अपनी जिंदगी वतन के नाम कर चुका हूं। अब बढ़ाया कदम आजादी की ओर मैंने। अब आ गई बारी वतन पे मरने की। मैं पहले ही बहुत आराम कर चुका हूं।” इसके अगले ही दिन उसने लिखा, “मैंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया है। मैंने आजादी की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब देश के लिए मरने की बारी आएगी। पहले ही मैं बहुत आराम कर चुका हूं।”

पुलिस सूत्रों ने परिवार के सदस्यों के हवाले से बताया कि सागर ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और सेना में शामिल होने की कोशिश की थी लेकिन कई प्रयासों के बाद भी वह असफल रहा। बाद में वह कुछ वर्षों के लिए बेंगलुरु चला गया और कुछ महीने पहले वापस लौट आया। वापस आने पर सागर ने ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। पड़ोस में रहने वाले सागर के दोस्त सत्यम सिंह ने कहा, “वह आगे पढ़ना चाहता था और आर्थिक तंगी के बारे में बात करता था। वह अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहता था। वह किसी को नुकसान पहुंचाए बिना ईमानदारी से आजीविका कमाने की बात करता था।”

सिंह ने कहा, ”मुझे यह विश्वास करना कठिन है कि उसने संसद के अंदर हंगामा खड़ा करने का इतना बड़ा कदम उठाया।” मनोरंजन डी और सागर शर्मा नामक युवक लोकसभा में जिन पर्चों को लेकर पहुंचे थे, उनमें तिरंगे की पृष्ठभूमि में मुट्ठी की तस्वीर थी और मणिपुर की हिंसा पर हिंदी तथा अंग्रेजी में एक-एक नारा लिखा था।

संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना उस वक्त हुई, जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। घटना के तत्काल बाद दोनों को सांसदों ने पकड़ लिया। सागर के परिवार के सदस्यों ने यहां पुलिस को सूचित किया कि वह दिल्ली में “विरोध प्रदर्शन” में भाग लेने की बात कहकर दो दिन पहले सोमवार को घर से निकला था। उन्होंने कहा कि वे संसद में हुई घटना में उसकी संलिप्तता के बारे में अनभिज्ञ हैं।

पुलिस ने बताया कि सागर लखनऊ के मानक नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामनगर का निवासी है। पुलिस के मुताबिक, सागर के पिता रोशन लाल बढ़ई का काम करते हैं जबकि मां रानी गृहिणी हैं। यह परिवार उप्र के उन्नाव जिले का रहने वाला है, लेकिन एक दशक से अधिक समय से यहां किराए के मकान में रह रहा है।

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