Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

सिविल जज तक नहीं है सुरक्षित, मुख्य न्यायाधीश से ‘इच्छा मृत्यु’ की मांग, पत्र में लिखी ऐसी बात

9

बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां कोर्ट में तैनात सिविल जज ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश से इच्‍छा मृत्‍यु की मांग की है। आरोप है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान जिला जज द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की गई। इतना ही नहीं जिला जज द्वारा रात में मिलने आदि का दबाव बनाया गया। जिला जज के खिलाफ शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई न होने से निराश सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश को पत्र लिख अपनी जिंदगी खत्म करने की अनुमति मांगी है।

CJI को लिखा पत्र

 बांदा की सिविल जज अर्पिता साहू ने पत्र में लिखा, मैं निराश होकर यह पत्र लिख रही हूं। इस लेटर का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई अन्‍य उद्देश्‍य नहीं है। मेरे सबसे बड़े अभिभावक (CJI) ने मुझे अपना जीवन समाप्‍त करने की अनुमति दें। मैं उत्‍साह और इस विश्‍वास के साथ न्‍यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्‍याय दिला पाऊं। लेकिन मुझे पता नहीं था कि जिस कार्य के लिए मैं जा रही हूं, वहां पर मुझे ही न्‍याय के लिए भीख मांगना पड़ेगा।

‘यौन उत्‍पीड़न के साथ जीना सीखें देश की महिलाएं’

सिविल जज अर्पिता साहू ने आगे लिखा, मेरी सेवा के थोड़े से ही समय में मुझे खुली अदालत में दुर्व्‍यवहार का सामना करना पड़ा। मेरे साथ यौन उत्‍पीड़न किया गया है। मैं काम करने वाली महिलाओं से कहना चाहती हूं कि यौन उत्‍पीड़न के साथ जीना सीखें, यही हमारे जीवन का सत्‍य है। शिकायत करने पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। मैं जज हूं, लेकिन मैं अपने लिए निष्‍पक्ष जांच तक नहीं करा सकी। चलो न्‍याय क्‍लोज करें, मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वह खिलौना या निर्जीव वस्‍तु बनना सीख लें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.