Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

इस शुभ मुहूर्त में करें तुलसी विवाह, जानिए महत्व और सही तिथि

10

इंदौर।  तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में होता है। देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है। कई बार तिथियों की गणना के अनुसार, तुलसी का विवाह एकादशी के दिन भी होता है। द्वादशी तिथि को सूर्यास्त के बाद तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से कराया जाता है। माना जाता है कि तुलसी विवाह से विवाह से जुड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात्रि 9.01 बजे प्रारंभ हो रही है और 24 नवंबर को शाम 7:06 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि और प्रदोष काल के अनुसार, तुलसी विवाह 24 नवंबर, शुक्रवार को किया जाएगा।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त और योग

प्रदोष काल में तुलसी का विवाह रचाया जाता है। इस बार तुलसी विवाह के दिन शाम 5 बजकर 25 मिनट पर प्रदोष काल प्रारंभ हो रहा है। तुलसी विवाह मुहूर्त शाम 5.25 बजे के बाद शुरू होगा। इस साल तुलसी विवाह के दिन तीन योग बनेंगे।

सर्वार्थ सिद्धि योग- संपूर्ण दिन

अमृत ​​सिद्धि योग- सुबह 6.51 बजे से शाम 4.01 बजे तक

सिद्धि योग- प्रातः काल से सुबह 9.05 बजे तक

तुलसी विवाह का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस राजा जालंधर की पत्नी वृंदा भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। जालंधर को मारने के लिए भगवान विष्णु को वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ना पड़ा। जालंधर की मृत्यु के बाद वृंदा ने अपना शरीर त्याग दिया। जहां वृंदा ने अपना शरीर त्यागा, वहां तुलसी का पौधा उग आया। भगवान विष्णु ने वृंदा को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वह उनके स्वरूप शालिग्राम से विवाह करेंगी और तुलसी के बिना उनकी पूजा अधूरी रहेगी। इसी कारण कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी का विवाह शालिग्राम से होता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.