दीपावली पर्व को लेकर इस बार लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में इस बार बड़े धूमधाम से पर्व मनने वाला है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है और बाजार सजना शुरू हो गया है। इसी में खास है कि ईको फ्रेंडली गोबर के दीये। इन्हें इस बार रंगबिरंगा बनाया गया है और यह बाजार में भी बिकने के लिए आ चुका है।
पर्यावरण के लिए रहता है बेहतर
गोबर के दीये इस बार दो प्रकार के बनाए गए हैं। इसमें पहला प्रकार गोबर का सामान्य दीया है जो पूरी तरह जलकर खत्म हो जाएगा, इसकी खास बात यह है कि यह पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि इसका धुंआ पर्यावरण में फैले हानिकारक वायरस को मारता है। वहीं दूसरी प्रकार का गोबर का दीया रंगिबरंगे बनाया गया है। इसका बार-बार उपयोग किया जा सकता है। इस दीये को रोशन करने से भी पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए ही इसे इको फ्रेंडली दीया भी कहा जाता है।
ऐसे बनते हैं गोबर के दीये
सबसे पहले गोबर के कच्चे माल को बारीक़ पीसकर तैयार किया जाता है। इसके बाद तैयार मिश्रण से उत्पाद बनाने के लिए दीये के विभिन्न प्रकार के सांचे का उपयोग किया जाता है। आकार में ढाले जाने के बाद प्रोडक्ट को सूखने के लिए खुले वातावरण में रख दिया जाता है। यह 24 से 48 घंटे में पूरी तरह से सूखकर तैयार हो जाता है।
तीन रुपये से शुरू हो रहा दाम
गोबर से निर्मित दीये का मूल्य अलग-अलग निर्धारित किया गया है। जहां गोबर के सादे दिए तीन से पांच रुपये तक में बिक रहे हैं, इनके रंगबिरंगे दीये के छोटे-बड़े आकार के हिसाब से 10 रुपये व उससे ज्यादा दाम पर बिक रहे हैं। उन्हें पैकेट बनाकर और दर्जन के हिसाब से बेचा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक विभिन्न महिला स्व सहायता समूह और कुम्हार मिलाकर शहर में दो लाख से ज्यादा गोबर के दीये बेचने का लक्ष्य रखा गया है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.