जबलपुर। सर, अचानक मेरा बीपी बढ़ गया है, शुगर भी बढ़ी हुई है। दिल का मरीज पहले से हूं, ऐसे में ज्यादा तनाव नहीं ले सकता, इसलिए चुनाव करा पाना संभव नहीं है। डाक्टरों की भी यही राय है। डाक्टर का पर्चा भी दिखा दिया। एक कर्मचारी खेल कोटे से सरकारी सेवक बने, इनका तर्क है कि खिलाड़ियों की टीम लेकर शहर से बाहर जाना है। ऐसे अजब-गजब तर्कों के साथ आवेदनों की लंबी लिस्ट से निर्वाचन अधिकारी की टेबल अटी पड़ी है।
कर्मचारियों के गजब के बहाने
विधानसभा चुनाव में 17 नवंबर को एक चरण में जबलपुर सहित समूचे प्रदेश में मतदान होना है। इसके लिए शासकीय सेवकों को निर्वाचन से जुड़े विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग दायित्व सौंपे गए हैं। इन्हें पहले चरण का प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है, लेकिन एक लंबी कतार कर्मचारियों की ऐसी भी है जो चुनाव ड्यूटी से अपने को दूर रखना चाहते हैं। यही कारण है कि एक सूत्रीय एजेंडे के साथ अलसुबह वे कलेक्ट्रेट परिसर पहुंच जाते हैं, इस उम्मीद के साथ की कोई बहाना सटीक बैठ जाए और वे चुनाव के मौसम में थोड़ा आराम फरमा सकें।
बीमारी आसान फार्मूला, डाक्टर का पर्चा भी नस्ती
चुनाव ड्यूटी से बचने वालों में बीमार कर्मचारियों की लंबी फेहरिस्त है। ऐसे कर्मियों ने पूरी रिपोर्ट के साथ बाकायदा एक फाइल बना ली है। अब लोकतंत्र के महापर्व से दूर रहने के लिए फार्मूला भी सटीक तलाश रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह सब पहली बार हो रहा है। चुनाव की घोषणा के बाद हर बार ड्यूटी से बचने के लिए इसी तरह के आवेदन लेकर कर्मचारी अधिकारियों के पास पहुंचते हैं। निर्वाचन से जुड़े अधिकारी की मानें तो पात्र को ही मुक्त किया जा रहा है। जब सब को छूट दे देंगे तो चुनाव का काम कौन करेगा।
अपनी-अपनी पहुंच
चुनावी समर से छूट की इस कतार में कुछ ऐसे भी शासकीय सेवक हैं भी जो अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर लेना चाहते हैं। इनका मानना है कि आखिरी संबंध कब काम आएंगे। दिलचस्प बात ये है कि इन सब बातों का शीर्ष अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यही कारण है कि सीधे आवेदन लेकर पहुंचने से पहले कुछ होशियार कर्मी लाबिंग का प्रयास करते हैं।
आपका घर ड्यूटी से चलता है, तो ड्यूटी करो
बतौर खिलाड़ी राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों ने टीम कोच व मैनेजर के रूप में अपनी नियुक्ति विभिन्न टीमों के साथ कर ली और नियुक्ति पत्र लेकर निर्वाचन अधिकारी के पास पहुंचे भी चुनाव ड्यूटी से छूट की आस में, लेकिन अधिकारी का सख्त लहजा देख वे उल्टे पांव लौट गए। एक कोच साहब से अधिकारी ने पूछा कि आपका घर किससे चलता है, कर्मचारी का जवाब था, नौकरी से। तो कहा कि फिर ड्यूटी करो।
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