Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

धनतेरस पर क्यों जलाया जाता है यमराज के नाम का दीपक, जानिए विधि और महत्व

8

इंदौर।  हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार धनतेरस से शुरू होता है। इस बार दिवाली 12 नवंबर और धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाने वाली है। धनतेरस की रात को यमराज की पूजा के अलावा देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर की पूजा करने की भी परंपरा है। इस दिन रात्रि के समय दक्षिण दिशा में चौमुखा दीपक जलाया जाता है, जिसे यम दीपक कहा जाता है। इस बार त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को है, इसी दिन यम का दीपक जलाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि यम का दीपक जलाने का क्या कारण है। आज हम आपको धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की विधि और महत्व बताने जा रहे हैं।

क्यों जलाया जाता है यम का दीपक?

धनतेरस के दिन यम दीपक जलाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार, किसी राज्य में हेम नामक राजा था। ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ। जब विशेषज्ञों ने उनके बेटे की कुंडली दिखाई, तो उन्हें पता चला कि शादी के चार महीने बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े। लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया। रीति के अनुसार विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आए।

यह देखकर राजकुमारी बहुत रोई। दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई और यम के दूतों में से एक ने कहा, “हे यमराज, ऐसा कोई उपाय नहीं है, जिससे किसी व्यक्ति को अकाल मृत्यु से बचाया जा सके।” तब उन्होंने यमराज से कहा कि जो कोई कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन शाम के समय मेरी ओर से दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा, तो वह अकाल मृत्यु से बच जाएगा। इसी कारण से हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है।

इस विधि से जलाएं दीपक

धनतेरस के दिन आटे का चौमुखा दीपक बनाएं या मिट्टी के दीपक के चारों ओर बाती रखें और उसमें सरसों का तेल भरें। इसके बाद इस दीपक को घर की दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें।

मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.