इंदौर। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि हर माह पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। वहीं सभी पूर्णिमा व्रत में भी शरद पूर्णिमा तिथि को सर्वोत्तम माना गया है और इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी और इस दिन रात में चंद्र ग्रहण लगने के कारण इस तिथि का महत्व बढ़ गया है।
चंद्रमा से बरसता है अमृत
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मन और मस्तिष्क को शांति और शीतलता प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणें अमृत बरसाती हैं और यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को खीर पीने का विशेष महत्व है, लेकिन 28 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण होने के कारण रात में खीर पीना शुभ नहीं होगा।
समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी देवी लक्ष्मी
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी। इस कारण से शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। देश में कई स्थानों पर शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करते समय पान के पत्ते का उपयोग करना चाहिए। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा करने के बाद लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि इंद्र देव ने भी मां लक्ष्मी की स्तुति करने के लिए लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ किया था। इसका पाठ करने से अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
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