इंदौर | सनातन धर्म में आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तिथि तक हर साल पितृ पक्ष मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज अपनी संतान से मिलने के लिए धरती लोक पर आते हैं। यही कारण है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण किया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पितृ पक्ष के छठे दिन एक साथ 3 शुभ योग निर्मित हो रहे हैं। इस दौरान पितरों को तर्पण देना काफी शुभ होगा और इससे अक्षय फल की प्राप्ति होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 05 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक है। इसके बाद सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी। षष्ठी तिथि को ये तीन योग निर्मित हो रहे हैं।
सिद्धि योग
पितृ पक्ष की षष्ठी तिथि पर सिद्धि योग निर्मित हो रहा है। सिद्धि योग पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है और इसका शुभ फल भी मिलता है। सिद्धि योग में पितरों को तर्पण करने से सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। षष्ठी तिथि को सिद्धि योग दिनभर के लिए रहेगा।
पितृ पक्ष के छठे दिन रवि योग भी निर्मित होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, रवि योग शाम के समय 06.29 बजे से 5 अक्टूबर को सुबह 06.16 मिनट तक है। इन दौरान दान का विशेष महत्व है। दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
पितृ पक्ष के छठे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। यह योग भी षष्ठी तिथि को दिनभर के लिए रहेगा। इस दौरान पितरों की पूजा करने से आय में बढ़ोतरी होती है और जातक को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। षष्ठी तिथि पर रुद्राभिषेक के लिए शुभ योग नहीं है। ऐसे में षष्ठी तिथि को रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए।
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