देशभर में इन दिनों गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है और अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदाई दी जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी पर्व 28 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी का पौराणिक महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब पांडवों ने अपना सारा राजपाट खो दिया था, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें भगवान विष्णु की आराधना करने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के लिए कहा था। इस व्रत के फल से ही पांडवों को राज्य वापस मिला था। Anant Chaturdashi व्रत करने से भक्तों के हर दुख दूर हो जाते गहैं और सुख की प्राप्ति होती है।
Anant Chaturdashi पर इस समय करें पूजा
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल Anant Chaturdashi 27 सितंबर 2023 की रात 10.18 को शुरू होगी और 28 सितंबर 2023 की शाम 06.49 पर खत्म होगी। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा सुबह 06.12 बजे से शाम 06.49 बजे के मध्य करना शुभ होगा।
ऐसी है अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा के मुताबिक, प्राचीन समय में सुमंत नाम के ब्राह्मण की 2 बेटियां थी, जिनका नाम दीक्षा और सुशीला थीं। सुशीला जब विवाह योग्य हुई तो उसी समय मां का निधन हो गया। मां के निधन के बाद सुमंत ने अपनी बड़ी बेटी सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया। विवाह के बाद जब कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर आश्रम जा रहे थे तो राह में विश्राम के लिए एक स्थान पर रुके, वहां कुछ महिलाएं अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं। तब सुशीला को भी इस व्रत के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई और सुशीला ने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया।
सुशीला जब वापस कौंडिन्य ऋषि के पास आई तो उन्होंने 14 गांठों वाला धागा तोड़ दिया। भगवान विष्णु का अपमान करने के कारण कौंडिन्य ऋषि का आश्रम और संपत्ति नष्ट हो गई। तब सुशीला ने उन्हें अनंत धागे के अपमान की बात याद दिलाई। कौंडिन्य ऋषि अनंत धागे की प्राप्ति के लिए भटकने लगे। जब वे थक-हारकर भूख-प्यास से व्याकुल होकर जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान विष्णु ने प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिए। कौंडिन्य ने अपनी गलती का पश्चाताप कर लिया है। इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक यह व्रत करना। इसके प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा।
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