सर्वप्रथम में स्वयंसेवक अंजली, अनिता, श्वेता, निशा, ऐश्वर्या एवं साथियों द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य गीत, उठे समाज के लिए उठे, जगे स्वराष्ट्र के लिए जगे प्रस्तुत किया गया। प्राचार्य एवं संरक्षक प्रो. बीएल काशी ने बताया कि युवा किसी भी राष्ट्र के विकास का आइना होते हैं। अनुशासन युवाओं का आभूषण है। राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं को संस्कारित करने का उपक्रम है।
राष्ट्र्रीय सेवा योजना का मूल लक्ष्य समाज सेवा के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का विकास करना है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. एके पांडेय ने अपने उद्बोधन में युवाओं से आह्वान किया कि वे जिस समाज में काम करते हैं, उसकी आवश्यकताओं का अनुभव करें, सेवा के कार्यों को मन लगाकर करें एवं शिक्षा के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान भी अर्जित करें। राजनीतिशास्त्र विभाग के डा. जेके द्विवेदी ने स्वयंसेवकों की भूमिका एवं कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एनएसएस का आदर्श वाक्य है ‘मैं नहीं आप’ जो कि मानव सेवा एवं युवा प्रेरणा के स्त्रोत स्वामी विवेकानन्द के आदर्शों पर चलना सिखाता है।
कार्यक्रम अधिकारी शितेष जैन ने आज भी हमारे समाज में अशिक्षा, अज्ञानता एवं कुरीतियों का बोलबाला है, ऐसी स्थिति में युवाओं का दायित्व है कि वे इन्हें दूर करने में अपना योगदान दें। उन्होंने स्वयंसेवकों के द्वारा किये गए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की उपलब्धियों की जानकारी प्रदान की तथा स्वयंसेवकों से लक्ष्य, आचरण और अनुशासन में संतुलन बनाए रखते हुए स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन राजनीतिशास्त्र विभाग की गरिमा देव पुजारी ने किया। वरिष्ठ स्वयंसेवक मोहन वैष्णव एवं अंजली गुप्ता ने राष्ट्रीय सेवा योजना के अपने अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी एवं स्वयं सेवकों की सक्रिय सहभागिता रही।
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