हरदा। जिला अस्पताल परिसर में सात साल पहले ट्रामा सेंटर बनाया गया। इसके लिए महज भवन बन सका। लेकिन चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार अब तक नहीं होने से दुर्घटना में घायलों को जिला अस्पताल में महज प्राथमिक उपचार ही मिल पाता है। जिला अस्पताल में दुर्घटना के घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद भोपाल या इंदौर रेफर किया जाता है।
बता दें कि वर्ष 2016 में जिला अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर भवन बनाया गया। लेकिन यहां विशेषज्ञ और मशीनों की कमी के कारण ट्रामा सेंटर में सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका है। सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र काशिव ने बताया कि उनके पहचान के एक व्यक्ति हादसे में घायल हो गए थे। जिनका आपरेशन होना था। लेकिन जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में आपरेशन नहीं हो सका। इसके बाद जिला मुख्यालय के एक निजी अस्पताल में आपरेशन किया जा सका।
निजी अस्पताल में कराना पड़ा इलाज
तीन दिन पहले खिरकिया ब्लाक के ग्राम सोनपुरा के देवलाल अटले का सात वर्षीय बेटा प्रिंस स्कूल में खेलते समय गिर गया। जिससे एक हाथ फैक्चर हो गया। जिसे इलाज के लिए खिरकिया से जिला अस्पताल हरदा रेफर किया गया। लेकिन जिला अस्पताल में हड्डी के आपरेशन की सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर उसका आपरेशन किया गया। जिससे बच्चे के परिवार को आर्थिक बोझ उठाना पड़ा। स्वजनों ने बताया कि दो दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती करके रखा गया। इसके बाद एक निजी अस्पताल में आपरेशन किया गया।
अस्थिरोग विशेषज्ञ की कमी
जिला अस्पताल परिसर के ट्रामा सेंटर भवन में अब तक अस्थि रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा अधिकारी, एनेस्थिसिया वि विशेषज्ञ एवं सर्जन की नियुक्ति नहीं हो सकी है। वहीं ट्रामा सेंटर में आपरेशन के लिए मशीनरी एवं उपकरण भी नहीं आए हैं। महज आपरेशन टेबल ही आ सका है। ट्रामा सेंटर की सुविधाएं शुरू नहीं होने के कारण उक्त भवन में आइसीयू, सिटी स्कैन जांच की जा रही है। वहीं उक्त भवन में जनरल वार्ड भी बना दिया गया है।
जिला अस्पताल में हड्डी के आपरेशन नहीं हो पाते हैं। ट्रामा सेंटर में सीआरर्म मशीन नहीं है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा है। इसके साथ ट्रामा सेंटर के सेटअप के बारे में भी शासन को अवगत कराया है। ताकि जिला अस्पताल में ही लोगों को सुविधा मिल सके। -डा. मनीष शर्मा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, हरदा
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