22 सितंबर से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहे हैं। यह व्रत, धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन, सुख, सौभाग्य आदि का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि इस व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और दरिद्रता दूर होती है। महालक्ष्मी व्रत को विवाहित जोड़ों के लिए बेहद शुभ माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार भादो के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत शुरू होते हैं और इनका समापन अश्विन मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है। इस साल ये व्रत 22 सितंबर से 6 अक्टूबर 2023 रखे जाएंगे। आइये जानते हैं इस व्रत की तिथि और इससे जुड़े विशेष उपाय…
महालक्ष्मी व्रत: तिथि
महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 22 सितंबर से होगी और समापन 6 अक्टूबर को होगा। शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि, 22 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरु होगी और 23 सितंबर के दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। इस तरह इस साल महालक्ष्मी व्रत 15 दिनों तक रहेगा। महालक्ष्मी व्रत रखने से दरिद्रता और आर्थिक परेशानी दूर होती है। साथ ही धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
इन नियमों का रखें ध्यान
- महालक्ष्मी व्रत के दौरान लगातार सोलह दिनों तक सुबह के वक्त देवी लक्ष्मी की पूजा करें। इस दौरान महालक्ष्मी के सभी आठ स्वरूपों की पूजा करनी चाहिए।
- मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए 22 सितंबर से 6 अक्टूबर तक रोजाना श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम का पाठ करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
- व्रत के आखिरी दिन कलश की पूजा करें। इसके लिए कलश में जल, कुछ सिक्के और अक्षत डालें। फिर कलश पर आम के पत्ते रखकर नारियल रखें और चंदन, हल्दी आदि से पूजन करें।
- लक्ष्मी जी की पूजा के बाद सोलह दूर्वा की गांठ बनाकर, इसे पानी में डुबोएं और घर के सदस्यों और कमरों में छिड़कें। इससे दरिद्रता दूर होती है।
- महालक्ष्मी व्रत के दौरान मांसाहार, नशीले पदार्थ या खट्टी चीजों का सेवन न करें। इससे व्रत का फल नहीं मिलता।
- महालक्ष्मी व्रत का पारण, माता लक्ष्मी को प्रसाद में चढ़ाई हुई खीर से ही करें।
डिसक्लेमर
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