Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी 23 सितंबर को, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

7

पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के प्रेयसी राधा जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही श्री राधा रानी का जन्मोत्सव भी देशभर में उल्लास की साथ मनाया जाता है। इस साल राधा जन्माष्टमी 23 सितंबर को मनाई जाएगी। पंडित चंद्रशेखर मलतारे से यहां जानें कि राधा जन्माष्टमी पर इस क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की पूरी विधि।

राधाष्टमी 2023 का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की 22 सितंबर 2023 को दोपहर 1.35 मिनट पर शुरू होगी। इसके बाद 23 सितंबर 2023 को दोपहर 12.17 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन हो जाएगा। इस दिन राधा जी की पूजा के लिए सुबह 11.01 से दोपहर 01.26 बजे तक का समय शुभ माना गया है।

ये है पूजा विधि

  • राधा अष्टमी के दिन सुबह जल्द स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर एक चौकी बिछा कर मंडल सजाएं।
  • एक तांबे की परात में भगवान कृष्ण के साथ राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पंचामृत से राधा-कृष्ण की प्रतिमा का अभिषेक करें।
  • इत्र, पुष्प, चंदन अर्पित करें और फिर जल चढ़ाएं।
  • राधा जी का श्रृंगार करें और धूप-दीप जलाकर, रोली-चावल से राधा जी की पूजा करें।
  • फल-फूल अर्पित करें और भोग अर्पित करें।
  • आखिर में राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र एवं राधा चालीसा का पाठ करें।
  • राधा जी की आरती गाएं।
  • दिन में एक ही समय भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.