गणेश उत्सव के साथ-साथ बुधवार का दिन बप्पा का उपासना के लिए और भी विशेष माना गया है। इस दिन भगवान गणेश की सेवा करने से सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं।
2) गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
3) ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
4) दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
5) ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
6) श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
7) ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।
8) ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
9) ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात”
10) त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
गणेश मंगलाष्टक
गजाननाय गांगेय सहजाय सर्दात्मने।
गौरी प्रियतनूजाय गणेषयास्तु मंगलम ।।
नागयज्ञोपवीताय नतविध्न विनाशिने।
नन्द्यादिगणनाथाय नायाकायास्तु मंगलम ।।
इभवक्त्राय चंद्रादिवन्दिताय चिदात्मने!
ईशान प्रेमपात्राय चेष्टादायास्तु मंगलम ।।
सुमुखाय सुशुन्डाग्रोक्षिप्तामृत घटाय च।
सुखरींदनिवे व्यय सुखदायास्तु मंगलम ।।
चतुर्भुजाय चन्द्राय विलसन्मस्तकाय च।
चरणावनतानन्ततारणायास्तु मंगलम ।।
वक्रतुण्डाय वटवे वन्धाय वरदाय च।
विरूपाक्षसुतायास्तु विघ्ननाशाय मंगलम ।।
प्रमोदामोदरूपाय सिद्धिविज्ञानरुपिणे !
प्रकृष्टपापनाशाय फलदायास्तु मंगलम ।।
मंगलं गणनाथाय मंगलं हरसूनवे।
मंगलं विघ्नराजाय विघ्न हत्रेंस्तु मंगलम ।।
श्लोकाष्टकमि पुण्यं मंगलप्रदमादरात।
पठितव्यं प्रयत्नेन सर्वविघ्ननिवृत्तये।।
डिसक्लेमर
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