रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सराहना करते हुए कहा कि घरेलू उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए हमारा देश भारत जैसे अपने भागीदारों की सफलता का अनुकरण कर सकता है। पुतिन ने मंगलवार को रूस के सुदूर-पूर्व क्षेत्र के एक प्रमुख बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में आठवें पूर्वी आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। रूस में बनी कारों पर एक सवाल के जवाब में पुतिन ने कहा, ‘‘आप जानते हैं, हमारे पास उस समय घरेलू स्तर पर निर्मित कारें नहीं थीं, लेकिन अब हमारे पास हैं। यह सच है कि वे मर्सिडीज या ऑडी कारों की तुलना में मामूली दिखती हैं, जिन्हें हमने भारी राशि खर्च 1990 के दशक में खरीदा था। लेकिन मुद्दा यह नहीं है। मुझे लगता है कि हम अपने कई भागीदारों का अनुकरण कर सकते हैं। भारत इसका एक उदाहरण है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने निवेश को सुविधाजनक बनाने, नवोन्मेषण को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने, बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत 2014 में की थी। ‘मेक इन इंडिया’ पहल चार स्तंभों पर आधारित है, जिन्हें न केवल विनिर्माण बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मान्यता मिली है। रूसी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘वे भारत में बने वाहनों के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने में सही काम कर रहे हैं। वह सही हैं।” उन्होंने आगे कहा कि रूस में विनिर्मित वाहनों का उपयोग करना बिल्कुल सही होगा।
पुतिन ने कहा, ‘‘हमारे पास रूस में बने वाहन हैं, हमें उनका उपयोग करना चाहिए। यह बिल्कुल ठीक है। इससे हमारी विश्व व्यापार संगठन (WTO) की प्रतिबद्धताओं का कोई उल्लंघन नहीं होगा। यह सरकार की खरीद से संबंधित होगा। हमें इस संबंध में एक निश्चित श्रृंखला बनानी चाहिए। इससे यह तय होगा कि विभिन्न वर्गों के अधिकारी किन कारों को चला सकते हैं, ताकि वे देश में बनी कारों का इस्तेमाल कर सकें। पुतिन ने कहा कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोपीय आर्थिक गलियारा (IMEC) किसी भी तरीके से रूस को प्रभावित नहीं करेगा। इससे रूस को लाभ ही होगा। IMEC की घोषणा शनिवार को नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त रूप से अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी इटली और यूरोपीय संघ के देशों ने की थी।
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