भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत ही विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु को 14 गांठ वाला अनंत सूत्र अर्पित किया जाता है और इसे बाजू में धारण किया जाता है। इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी: तिथि और मुहूर्त
इस साल अनंत चतुर्दशी का त्योहार गुरुवार, 28 सितंबर को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर की रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरु होगी और 28 सितंबर की शाम 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर की सुबह 06:12 बजे से शाम 06: 49 बजे तक है।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई। यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कैसे करें पूजन?
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान कर पूजा स्थल पर कलश स्थापना करें। इस कलश में कुश से बने अष्टदल कमल या भागवान विष्णु की मूर्ति या चित्र भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद सिंदूर, केसर और हल्दी में डुबोकर एक सूत या रेशम का धागा तैयार करें, जिसमें 14 गांठें लगी हों। इस धागे को भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने रखें। और इनका षोडशोपचार विधि से पूजन करें। पूजा के बाद नीचे दिए गये मंत्र का जाप करें। और धागे को अपनी दायीं कलाई पर बांध लें। पुरुष अनंत सूत्र को दाहिने हाथ में और महिलाएं को बायें हाथ में बांधना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।
डिसक्लेमर
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