हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व है। पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलते हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों का याद करके पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है, जो कि 14 अक्टूबर तक चलेंगे। इन 16 दिनों में पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। पितृपक्ष के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान कुछ चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से बाहर का खाना अशुद्ध होता है। आइए, जानते हैं कि पितृपक्ष में किन नियमों का पालन करना चाहिए।
श्राद्ध के दौरान मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ये दिन पूर्ण रूप से पूर्वजों का समर्पित होते हैं, जिसमें मांस, मछली, अंडा और मदिरा का सेवन अशुभ माना जाता है। वहीं, प्याज और लहसुन भी तामसिक माने जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान इनका सेवन भी नहीं करना चाहिए। 16 दिनों तक केवल सात्विक भोजन ही करें।
पितरों को इस तरह लगाएं भोगपितृ पूजा के दौरान पूर्वजों और ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले भगवान विष्णु को भोग लगाएं। इसके बाद ही ब्राह्मणों को दें। पितरों के श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही खुद भोजन करें। इससे आपके पितर के प्रति आपकी श्रद्धा दिखाई देती है। ब्राह्मणों को भोजन करवाते समय मौन रहना चाहिए। भोजन के बाद पितरों को मन में याद कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
इन नियमों का करें पालन
- पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है।
- इस दौरान किसी भी जानवर को नुकसान न पहुंचाएं।
- पितृ पक्ष में कौओं, पशु-पक्षियों को अन्न-जल देना शुभ होता है। इन्हें भोजन देने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं।
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