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स्‍कूल नहीं जा पाए तो जबलपुर में ऐसे पूरा किया सपना

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जबलपुर। शहर के एक उच्चशिक्षित युवक मां रेवा के तीरे गौरीघाट में पिछले सात वर्षों से गरीब नाविकों के बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। 43 वर्षीय पराग दीवान की निश्शुल्क कोचिंग क्लास रोजाना रात को गौरीघाट नर्मदा तट पर लगती है। कक्षा एक से लेकर कक्षा 12वीं पढ़ने वाले आस-पास के नाविकों के अलावा अन्य निम्न आय वर्ग परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं।

पराग वैसे तो गणित, विज्ञान सहित हर विषय में निपुण हैं, पर वैदिक गणित में उन्हें महारथ हासिल है। वे कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के बच्चों को अपनी अलग ट्रिक से इस तरह पढ़ा रहे हैं कि बच्चे भी हाथ की अंगुलियों को कैल्युलेटर बनाकर बड़े से बड़े अंक का स्क्वैयर, क्यूब पलक झपकते ही निकाल लेते हैं। गणित-विज्ञान के सूत्र, संस्कृत के श्लोक भी बच्चों को कंठस्थ हो चुके हैं।

निश्शुल्क कोचिंग क्लास में 364 से बच्चे पढ़ने पहुंच रहे हैं

 

वर्तमान में उनकी निश्शुल्क कोचिंग क्लास में 364 से बच्चे पढ़ने पहुंच रहे हैं। स्कूल में न पढ़ाते हुए भी ऐसे शिक्षक बन गए हैं जो न सिर्फ गरीब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ा रहे हैं बल्कि योग्यता के आधार पर सरकारी व निजी स्कूलों में प्रवेश भी दिला रहे हैं। अभिभावक बनकर किताब, कापी, यूनिफार्म का खर्च भी खुद वहन कर रहे हैं।

मां नर्मदा तट पर बच्चों को सीखाती थीं ड्राइंग

पराग बताते हैं कि उनके पिता बहुत पहले ही साथ छोड़ गए। वर्ष 2016 में मां का साया भी उठ गया। मां नर्मदा भक्त थी नर्मदा तट पर बच्चों को ड्राइंग भी सिखाती थीं। घाट पर बच्चों को फूल व पूजन सामग्री बेचते, नाव चलाते देखतीं तो उनका दिल पसीज जाता था। मां अक्सर कहती थीं कि तुम बच्चों शिक्षित करो, मां का सपना गरीब बच्चों के लिए ऐसा स्कूल खोलने का था जिसमें विद्यार्थी ही शिक्षक हों। विद्यार्थियों को इस कदर शिक्षित कर दिया जाए कि वे दूसरे विद्यार्थियों को पढ़ा सकें। मां से मिली प्रेरणा से वे गरीब बच्चों के बेहतर शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोलना चाहते थे, पर वे मां का यह सपना पूरा नहीं कर सके। जिसके बाद उन्होंने गरीब बच्चों को निश्शुल्क कोचिंग देने की ठान ली।

रोजाना आठ बजे उमाघाट पर लगती है क्लास

गौरीघाट नर्मदा तट उमाघाट के समीप रोजाना रात आठ बजे से खुले आसमान के नीचे पराग की पाठशाला लगती है। जिसमें वर्तमान में 364 बच्चे पढ़ने पहुंचते हैं। पराग फिलहाल कक्षा एक से 12वीं के बच्चों को मैथ्स- साइंस, फिजिक्स, कैमेस्ट्री के अलावा संस्कृत भी पढ़ा रहे हैं। पराग बताते हैं कि गरीब बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से उन्होंने वर्ष 2016 से नर्मदा तट पर चार-पांच बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। उनकी पढ़ाई की ट्रिक बच्चों को पंसद आई और उनकी योग्यता बढ़ती गई। धीरे-धीरे और बच्चे भी उनके पास पढ़ने के लिए आने लगे। उनकी क्लास में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा भी पहुंच रहे हैं। उनके द्वारा पढ़ाए हुए 10 बच्चे सेना में भर्ती हो चुके हैं। वहीं इस वर्ष गौरीघाट क्षेत्र में रहने वाली छात्रा नीलम डिमौले ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10 बोर्ड परीक्षा में 82 प्रतिशत अंक अर्जित किए है्र। जबकि अधिकांश अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छी नौकरी कर कर रहे हैं।

शिक्षा के नाम कर दिया जीवन समर्पित

अब तक एकांकी जीवन जी रहे पराग दीवान पराग बताते हैं कि वे अपना खर्चा चलाने और गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए गोरखपुर नरेंद्र डेयरी के पास एक छोटा सा कमरा लेकर बच्चों को सशुल्क कोचिंग भी पढ़ाते हैं। कोचिंग क्लास से जितनी आय होती है उसमें से कुछ अपने घर के लिए और बाकी पैसा गरीबों की शिक्षा पर खर्च कर देते हैं। उनके परिवार में एक छोटा भाई भी है। वे पूरा जीवन बच्चों को शिक्षा देने में ही समर्पित कर देंगे।

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