ग्वालियर,गृह-नक्षत्र में गुरु का प्रमुख स्थान है, अगर कुंडली में गुरु मजबूत है तो व्यक्ति को जीवन में सफलताएं अर्जित करता है। 12 साल बाद 118 दिन के लिए गुरु मेष राशि में वक्री हो रहे हैं और धन, वैभव व ऐश्वर्या प्रदान करने वाले शुक्र ग्रह चंद्रमा की राशि कर्क में मार्गी होंगे। दो बड़े ग्रहों के राशि परिवर्तन से सभी राशि के जातकों के जीवन के समाज पर प्रभाव पड़ेगा।
देवगुरु भगवान बृहस्पति मंगल के मित्र है। अपने मित्र की राशि में गुरु का प्रवेश करना अच्छा व प्रभावशाली होगा। ज्योतिषाचार्य डा. सतीश सोनी ने बताया कि 12 साल बाद, 118 दिन मेष राशि में गुरु चलेंगे उल्टी चाल। वही कर्क राशि में शुक्र चलेंगे सीधी चाल। 4 सितंबर से गुरु बक्री होकर 31 दिसंबर तक रहेंगे। मेष राशि में धन, वैभव, ऐश्वर्या के ग्रह शुक्र चंद्रमा की राशि कर्क में होंगे। मार्गी जातकों का धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ होगा। झुकाव साफ्टवेयर टेक्नोलाजी, हाउसिंग उद्योग तथा शेयर बाजार में देखने को मिलेंगे।
सकारात्मक होंगे बदलाव
ब्रह्मांड के सबसे बड़े ग्रह देवगुरु बृहस्पति अभी मेष राशि में हैं। गुरु मेष राशि में 4 सितंबर दिन सोमवार शाम 7:39 पर बक्री होने जा रहे हैं। गुरु की यह बक्री चाल 31 सितंबर सुबह 8:09 तक रहेगी। यानी बृहस्पति मेष राशि में 118 दिनों के बाद मार्गी हो सकेंगे, इसके साथ ही धन संपदा, वैभव तथा सुख समृद्धि के कारक ग्रह शुक्र चंद्रमा की कर्क राशि में 4 सितंबर सोमवार को 6.55पर मार्गी गति से संचरण करेंगे। गुरु के बक्री होने से तथा शुक्र के मार्गी होने से देश दुनिया के साथ जातकों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा
गुरु का वक्री होना अच्छा व प्रभावशाली रहेगा
इस बार देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में 12 साल बाद बक्री हो रहे हैं। जो की मंगल की मूल त्रिकोण राशि है, बृहस्पति मंगल के मित्र हैं। इसलिए इनका बक्री होना अच्छा व प्रभावशाली रहेगा। इस समय में भारत के लोगों का झुकाव धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ बढ़ेगा। मंत्री और सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग देश दुनिया की मौजूदा जरूरत पर ध्यान रखते हुए विभिन्न नीतियों में कुछ अहम बदलाव करते नजर आएंगे, तथा गुरु के बक्री काल के दौरान कंप्यूटर साफ्टवेयर टेक्नोलाजी, हाउसिंग उद्योग, फर्टिलाइजर इंडस्ट्रीज, बैंकिंग सेक्टर के साथ शेयर बाजार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
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