मंदसौर। जब अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का गठजोड़ होता है तो नियम विरुद्ध काम होने लगते हैं। इनमें न तो गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता हैं और न ही उपलब्ध कराए जा रहे मटेरियल का। बस बाहर से अच्छा दिखाने के चक्कर में अंदर घटिया मटेरियल भर दिया जाता हैं। इसके अलावा नियमों को भी गोलमाल कर दिया जाता हैं। कुछ एसा ही काम कुशाभाऊ ठाकरे आडिटोरियम के नवनिर्माण में किया गया हैं।
यहां कुल 1 करोड़ रुपये से अधिक का काम हुआ हैं और अभी पूरा ही हुआ है कि कई जगह बिजली के तार व केबल खुले में ही लटक रही हैं। बाहर लगाई गई एल्युमिनियम की शीटें भी उखड़ने लगी हैं। महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष ने शिकायत की तो एक बार आकर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी देखकर चले गए। उसके बाद अभी तक लौटकर नहीं आए हैं।
कोटेशन बुलवाकर करवाया काम
तत्कालीन कलेक्टर गौतम सिंह के साथ लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने एक करोड़ का काम कराने के लिए भी नियमों को ताक पर रख दिया। कायदे से पूरे कार्य का एक बार में एक ही टेंडर निकालना था, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी 20-20 लाख रुपये का कोटेशन बुलाकर काम करते रहे। अब काम पूरा नहीं हो रहा है और ठेकेदार कई कमियां छोड़कर निर्माण बंद कर चला गया। वहीं अब जो निर्माण हुआ हैं उस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शिकायतों का दौर शुरु हुआ तो किसी के पास जवाब नहीं है। निर्माण कराने से लेकर एजेंसी तय करने का काम मौखिक निर्देश पर हुआ।
काम पर खडे़ हो रहे सवाल
राजीव गांधी महाविद्यालय परिसर में कुशाभाऊ ठाकरे आडिटोरियम का उन्नयन का काम अभी पूरा भी नहीं हुआ है और इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। बारिश के पहले की आंधी भी यह नहीं सह सका और बाहर लगाई गई एल्युमिनियम की शीटे निकलने लगी हैं। एक करोड़ रुपये से अधिक का काम बिना टेंडर के ही लोक निर्माण विभाग ने कर दिया और 80 लाख रुपये का तो भुगतान भी हो चुका है।
राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रबंधन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष कलेक्टर गौतम सिंह ने 17 जनवरी 2022 को समय सीमा समीक्षा संबंधी बैठक में तत्कालीन प्राचार्य को मौखिक निर्देश देकर कुशाभाऊ ठाकरे आडिटोरियम के नवीनीकरण का काम शुरू करने को कहा था। इस पर प्राचार्य ने लोक निर्माण विभाग को इस काम के लिए स्थानीय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर द्वारा निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया था। लोक निर्माण विभाग द्वारा इसे पूरे काम के लिए प्राक्कलन तैयार किया था। इसमें एक ही आडिटोरियम में अलग-अलग काम बताते हुए पार्ट में प्राक्कलन प्रस्तुत कर कार्य कराया और इसका भुगतान भी हुआ।
पहले में 19.93 लाख, दूसरे में 19.93 लाख, तीसरे से 19.98 लाख और चौथे में 19.96 लाख रुपये के कोटेशन बुलाए गए। इसके आधार पर लोक निर्माण विभाग ने काम किया। वहीं यह भी सामने आया कि यह राशि तो भुगतान हो गई लेकिन जो पांचवा करीब 30 लाख रुपये का काम था उसका भुगतान भी अभी बाकी है। एक करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी कुशाभाऊ ठाकरे आडिटोरियम के काम में कई कमियां छोड़ दी गई। इसलिए इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे है।
काम गुणवत्ताविहीन, ठेकेदार व अधिकारी देख कर गए
समिति के तत्कालीन अध्यक्ष कलेक्टर थे। उन्होंने ही काम कराया था। आडिटोरियम में जो कमियां मिल रही हैं उनको लेकर हमने भी सभी बिंदुओं पर एक पत्र कलेक्टर व लोनिवि के अधिकारी को लिखा हैं। काम गुणवत्ता विहीन किया हैं। एक दिन लोनिवि के अधिकारी व ठेकेदार आए थे पर देखकर चले गए। उसके बाद अभी तक कोई नहीं आया हैं। – नरेश चंदवानी, अध्यक्ष, राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय।
यह कमियां रह गई आडिटोरियम में
- आडिटोरियम के बाहर लगी एल्युमिनियम की शीट बारिश से पहले ही आंधी के साथ निकल गई।
- आडिटोरियम के बाहर लगे बिजली के तार खुले हैं। इससे बारिश के समय हादसा होने की संभावना है। साथ ही अर्थिंग सही तरीके से यहां नहीं दी गई है। इससे आडिटोरियम में लगे एसी और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों के खराब होने का अंदेशा है।
- आडिटोरियम के अंदर हाल में लगा कारपेट कई स्थानों से अभी से ही खुलने लगा है।
- हाल में लगी सेंसर लाइट भी कई जगह से खुलकर नीचे आ गई है।
- स्टोन के बने झरने की मोटर एक प्रयोग के बाद ही बंद हो गई है ऐसे में उसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
- आडिटोरियम के अंदर हाल में साउंड केबल तथा अन्य केबल खुले में हैं जबकि यह भी अंडरग्राउंड होना चाहिए।
- हाल में दीवारों पर लगाई गई प्लाइ भी अभी से खुल गई हैं।
- आडिटोरियम के अंदर लगे एसी में से 2 तो बंद ही हैं बाकी की भी कोई गारंटी नहीं हैं।
- आडिटोरियम उन्नयन से लगे 10 सुविधा घरों में पानी की सप्लाई, लाइट, दरवाजे आदि काम अधूरे पड़े हैं।
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