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इंडिया को ढेंगा, केंद्र पर गुस्सा! नीति आयोग की बैठक से ममता ने साधा एक तीर से दो निशाना

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दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक हुई, बैठक में क्या हुआ? क्या फैसले लिये गये? बैठक में शामिल विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने क्या कहा? इस पर चर्चा बहुत ही कम हुई. इंडिया गठबंधन के स्टैंड से अलग विपक्षी पार्टी शासित राज्यों में केवल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल हुईं और उन्हें बोलने के लिए समय नहीं देने का आरोप लगा कर बैठक से बॉयकॉट कर गईं.

ममता बनर्जी के बॉयकॉट के साथ ही वह चर्चा के केंद्र में आ गईं और दिन भर के लिए सुर्खियों में रहीं. इंडिया गठबंधन के विरोध के बावजूद ममता बनर्जी के बैठक में शामिल होने और फिर बहिष्कार को लेकर अब राजनीतिक अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं.

यह सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर ममता बनर्जी के निशाने पर मोदी सरकार थी या फिर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में चलने वाला इंडिया गठबंधन या फिर ममता बनर्जी ने एक तीर से दो निशाना साधा है. मोदी सरकार के खिलाफ आवाज भी बुलंद की और इंडिया गठबंधन की उसकी औकात भी दिखला दी.

चुनाव में ममता ने इंडिया को दिखाया था आइना

लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की पार्टी ने इंडिया गठबंधन को आइना दिखते हुए अपने बल पर बीजेपी की लड़ाई की और 42 में से 29 सीटों पर जीत हासिल कर यह साबित कर दिया था कि बंगाल में केवल उनका ही वर्चस्व है. ममता बनर्जी बीजेपी के साथ-साथ इंडिया गठबंधन की पार्टियों कांग्रेस और माकपा को भी उनकी जगह दिखा दी थी, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही वह फिर से इंडिया गठबंधन में शामिल हुईं और बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी और इंडिया गठबंधन के साथ चलने का ऐलान कर दिया.

संसद की कार्यवाही को लेकर इंडिया गठबंधन की बैठक में टीएमसी के लोकसभा और राज्यसभा के नेता क्रमशः सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन शामिल हो रहे हैं. आम बजट को लेकर इंडिया गठबंधन की बैठक में 29 जुलाई की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला हुआ, लेकिन इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होने का निर्णय लेकर ममता बनर्जी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी.

ममता के बैठक में शामिल होने को लेकर उठे सवाल

उसके बाद यह सवाल उठने लगे थे कि क्या नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर ममता नरम रुख अपना रही हैं? पीएम मोदी से क्या फिर से ममता की नजदीकी बढ़ रही है? कांग्रेस की ओर से अपील की गई कि चूंकि इंडिया गठबंधन के कोई भी सीएम बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. इसलिए ममता भी शामिल नहीं हो, लेकिन ममता बनर्जी ने कहा कि यदि यह जानकारी पहले दी गई होती तो उनका फैसला कुछ और होता और वह बैठक में शामिल हुईं. बैठक में शामिल होकर एक तीर से दो निशाने साधे. वह अब दिल्ली की राजनीति में चर्चा के केंद्र में हैं.

बता दें कि विपक्षी गठबंधन के सात मुख्यमंत्रियों ने बैठक का बहिष्कार किया था. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, पंजाब के सीएम भगवंत मान और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन भी बैठक में शामिल नहीं हुए थे. बैठक में केवल विपक्षी गठबंधन के सीएम के रूप में ममता बनर्जी शामिल हुई थीं, लेकिन, बैठक के बीच में ही उन्होंने शिकायत की तो उनका माइक बंद कर दिया गया. वह विपक्ष के बारे में बात करना चाहती थी. उन्होंने बजट में भेदभाव का जिक्र किया. लेकिन, कहने नहीं दिया गया. माइक बंद है. इसलिए वह बैठक छोड़कर चली गईं.

ममता की रणनीति से उलझा इंडिया गठबंधन

ममता बनर्जी के बैठक से बहिष्कार के बाद ही दिल्ली की राजनीति में हंगामा मच गया. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि ममता बनर्जी की माइक बंद की गई थी. पीआईबी ने फैक्ट चेक का रिलीज जारी कर ममता पर गुमराह करने का आरोप लगाया. केंद्र की दलीलों के बावजूद तब तक ममता दिल्ली की राजनीति में चर्चा के केंद्र में दिन भर रहीं.

नेताओं का कहना है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. नीति आयोग की बैठक में शामिल होते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र विपक्षी राज्यों को वंचित कर रहा है. उन्होंने बैठक में शामिल होकर यह संदेश देने की कोशिश की कि वह इंडिया गठबंधन की हिस्सा है और बीजेपी की भेदभावपूर्ण राजनीति के खिलाफ वह आवाज उठा रही हैं.

ममता के समर्थन में आए स्टालिन, अधीर ने साधा निशाना

ममता ने बंगाल की जनता को संदेश दिया कि वह मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की मांगों को मांगने गयी हैं. लेकिन, बीजेपी बंगाल के खिलाफ है. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण व्यवहार के कारण बंगाली नहीं बोल सकते. उन्होंने अपने स्टैंड से इंडिया गठबंधन और कांग्रेस को भी यह संदेश भी दिया कि तृणमूल कांग्रेस को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. खास कर ममता बनर्जी को इग्नोर करना भारी पड़ेगा. उन्होंने बैठक में शामिल होकर दिखा दिया कि विरोध कैसे किया जाता है?

ममता बनर्जी के विरोध के बाद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन का बयान आया और उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ बर्ताव के लिए मोदी सरकार की आलोचना की. आप सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं के बयान आये, लेकिन कांग्रेस की ओर से न तो राहुल गांधी और न ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का ही कोई बयान आया. केवल कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और जयराम रमेश का बयान आया और उन्होंने इसकी निंदा की. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सीधा ममता बनर्जी पर आरोप लगा दिया कि ममता बनर्जी झूठ बोल रही हैं और यह उनकी पहली की स्क्रिप्ट थी. उसी के अनुसार ममता ने काम किया था.

स्पीकर के चुनाव में भी टीएमसी ने लगाया था अड़ंगा

ममता बनर्जी की पार्टी इसके पहले भी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के प्रभुत्व को लेकर सवाल उठा चुकी हैं. उन्होंने कांग्रेस की अगुवाई पर सवाल उठाया था. लोकसभा में स्पीकर पद के चुनाव के दौरान जब कांग्रेस की अगुवाई में एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ इंडिया गठबंधन ने कांग्रेस के आठ बार के उम्मीदवार के सुरेश को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया तो टीएमसी ने आपत्ति जताई थी और कहा कि इस फैसले में उसकी सहमति नहीं ली गई थी. बाद में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के दवाब में स्पीकर चुनाव के दौरान मतों की गणना की मांग नहीं की गई और ध्वनि मत से स्पीकर का चुनाव हुआ.

कोलकाता की सभा में एकजुट हुए थे ममता-अखिलेश

कुछ दिन पहले ही 21 जुलाई को टीएमसी की शहीद दिवस के अवसर पर कोलकाता में ममता बनर्जी ने बड़ी रैली की थी. इस रैली में इंडिया गठबंधन की ओर से केवल समाजवादी पार्टी की ओर से पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शिरकत की थी. इस रैली से ममता बनर्जी ने कांग्रेस को यह संदेश देने की कोशिश की थी कि इंडिया गठबंधन के बीच भी अलग गठबंधन है और दो बड़ी पार्टियों सपा और तृणमूल को नदरदांज कर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है और यदि कोई फैसला लिया गया तो इसका विरोध भी होगा.

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