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लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी कम से कम 5 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष को बदल सकती है. इनमें बिहार, बंगाल, गुजरात, तेलंगाना और राजस्थान का नाम शामिल है. फिलहाल राजस्थान में सीपी जोशी, बिहार में सम्राट चौधरी, बंगाल में सुकांत मजूमदार, तेलंगाना में जी किशन रेड्डी और गुजरात में सीआर पाटिल प्रदेश अध्यक्ष हैं.

अध्यक्ष बदली के सुगबुगाहट के बीच इन राज्यों में नए-नए समीकरण भी बनने लगे हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी इन राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करेगी. बिहार में 2025, बंगाल में 2026, गुजरात में 2027 और तेलंगाना-राजस्थान में 2028 में विधानसभा के चुनाव होने हैं.

राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी होना है चुनाव

बीजेपी में अभी जगत प्रकाश नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. हाल ही में नड्डा को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. उन्हें स्वाथ्य और परिवार कल्याण के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक विभाग का दायित्व सौंपा गया है. नड्डा से पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह मोदी कैबिनेट में अध्यक्ष रहते शामिल हुए थे.

इन दोनों ने कैबिनेट में शामिल होने के बाद अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी थी. ऐसे में नड्डा को लेकर भी कहा जा रहा है कि जल्द ही पार्टी के भीतर उनके उत्तराधिकारी की भी खोज कर सकती है. राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सुनील बंसल, विनोद तावड़े, मनमोहन शामल जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं.

अब उन 5 प्रदेश अध्यक्षों को जानिए, जिन्हें हटाया जा सकता है

सुकांत मजमूदार- 2021 में विधानसभा चुनाव के बाद मजमूदार को बंगाल अध्यक्ष की कुर्सी मिली थी. 2024 का चुनाव पार्टी ने उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा. हालांकि, 2019 के मुकाबले पार्टी की 6 सीटें घट गई. चुनाव बाद सुकांत केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए. इसके बाद से ही उनकी जगह बंगाल में किसी नए चेहरे को अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है.

बंगाल प्रदेश अध्यक्ष की रेस में पूर्व सांसद दिलीप घोष का नाम सबसे आगे है. घोष के नेतृत्व में ही पार्टी ने 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था. इसके अलावा हुबली से सांसद लॉकेट चटर्जी, नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और ज्योतिर्मय सिंह महतो का नाम भी रेस में है.

सीपी जोशी- राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले चंद्रप्रकाश जोशी को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. जोशी के नेतृत्व में पार्टी को जीत मिली, जिसके बाद भजनलाल शर्मा राजस्थान के मुख्यमंत्री बनाए गए. लोकसभा के चुनाव में भी जोशी ही प्रदेश के अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली. 2019 के मुकाबले 2024 में पार्टी को 11 सीटों पर नुकसान हुआ. इसके बाद से ही जोशी के जाने की चर्चा है.

जोशी के जाने की दूसरी वजह ब्राह्मण समीकरण है. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा वर्तमान में ब्राह्मण हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि अध्यक्ष अब किसी और बिरादरी से बनाया जा सकता है. अध्यक्ष पद की रेस में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, प्रभुलाल सैनी और कैलाश चौधरी का नाम सबसे आगे है.

सम्राट चौधरी- बिहार में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए थे. नई सरकार में बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी को विधानमंडल दल का नेता और अध्यक्ष बनाया गया था. चुनाव नजदीक होने की वजह से पार्टी ने अध्यक्ष पद पर भी कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि, चुनाव में पार्टी को सम्राट के नेतृत्व में बड़ी सफलता नहीं मिली.

पार्टी 2024 में लोकसभा की 5 सीटें हार गई. इनमें आरा, बक्सर और औरंगाबाद जैसी सीटें शामिल हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद अब सम्राट के बदले किसी और नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की सुगबुगाहट है. जो भी नया अध्यक्ष बनेगा, पार्टी उसी के अध्यक्षता में 2025 का विधानसभा चुनाव भी लड़ेगी. पार्टी के भीतर किसी पुराने काडर के नेताओं को अध्यक्ष बनाए जाने की माांग हो रही है. हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने इसके खिलाफ मोर्चा भी खोला है.

जी किशन रेड्डी- जुलाई 2023 में जी किशन रेड्डी को तेलंगाना बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. रेड्डी विधानसभा में तो बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन लोकसभा में उन्होंने पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाई है. तेलंगाना की 8 सीटों पर बीजेपी को इस बार जीत मिली है. रेड्डी को इसका ईनाम भी मिला और उन्हें केंद्रीय कोयला और खान विभाग का मंत्री बनाया गया है.

केंद्र में मंत्री बन जाने की वजह से यह चर्चा है कि रेड्डी की जगह पर तेलंगाना में अब बीजेपी किसी दूसरे नेता को अध्यक्ष बना सकती है. तेलंगाना में ईटाला राजेंद्र और डीके अरुणा का नाम अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे है.

सीआर पाटिल- साल 2020 में चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल को गुजरात बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. पाटिल ने 2022 के विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वे ही पार्टी के मुखिया थे.

लोकसभा चुनाव बाद पाटिल को मोदी कैबिनेट में जल शक्ति जैसे बड़े विभाग का मंत्री बनाया गया है. पाटिल के मोदी कैबिनेट में जाने के बाद से ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि गुजरात को भी जल्द ही नया अध्यक्ष मिल सकता है.

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