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जिन भानुप्रताप शर्मा को हराकर पहली बार सांसद बने थे शिवराज सिंह चौहान, इस बार फिर उन्हीं से मुकाबला

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 विदिशा। मध्य प्रदेश की राजनीति में पिछले 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे भाजपा प्रत्याशी शिवराज सिंह चौहान सात मई को होने वाले मतदान में नया इतिहास रचने की तैयारी कर रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस के एकमात्र विजेता रहे प्रतापभानु शर्मा इस बार शिवराज के खिलाफ खड़े हैं। इस सीट पर हार–जीत के अंतर को लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई है।

राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस संसदीय क्षेत्र से शिवराज पूर्व में भी पांच बार सांसद रह चुके हैं। वे 1991 से 2004 तक इस क्षेत्र से सांसद रहे और फिर 2005 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापभानु शर्मा वर्ष 1980 और 1984 में दो बार इस क्षेत्र से सांसद चुने गए। वे इस क्षेत्र से जीतने वाले कांग्रेस के एकमात्र नेता है।

वर्ष 1991 में शर्मा को ही हराकर शिवराज पहली बार सांसद बने थे। अब 32 वर्षों बाद यह पुराने प्रतिद्वंदी आमने–सामने है। शिवराज ने वर्ष 2004 का दो लाख 60 हजार मतों से जीता था। वहीं वर्ष 2019 का पिछला चुनाव भाजपा के रमाकांत भार्गव पांच लाख तीन हजार मतों से जीते थे। अब इस चुनाव में सबकी नजरें इसी पर है कि इस बार जीत का अंतर क्या रहेगा।

शिवराज सिंह चौहान

लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना जैसी योजना बनाने के कारण शिवराज के प्रति महिलाओं का बड़ा समर्थन है। प्रचार के दौरान संसदीय क्षेत्र के एक-एक गांव तक शिवराज ने जाकर लोगों से मदद मांगी है। अब छठवीं बार सांसद की दावेदारी में है।

प्रतापभानु शर्मा

कांग्रेस नेता प्रतापभानु शर्मा ब्राह्मण चेहरे के रूप में मैदान में हैं। किसी समय माधव राव सिंधिया के करीबी रहने के कारण क्षेत्र के लिए अनजान चेहरा नहीं है। वर्ष 1991 के चुनाव में उन्हें शिवराज के सामने पराजित होना पड़ा। अब 32 वर्ष बाद वे फिर शिवराज के सामने चुनाव लड़ रहे है।

मतदान की जानकारी

संसदीय क्षेत्र में कुल मतदान केंद्र – 2384

कुल मतदाता – 19, 38, 343

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