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भाजपा सांसद किरण खेर पर गंभीर आरोप, शख्स को दी जान से मारने की धमकी, कारोबारी को मिली पुलिस सुरक्षा

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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ पुलिस को निर्देश दिया है कि वह उस व्यवसायी और उनके परिवार को एक सप्ताह के लिए सुरक्षा प्रदान करे, जिन्होंने स्थानीय सांसद किरण खेर और उनके सहयोगी से धमकी मिलने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है।  चैतन्य अग्रवाल ने वरिष्ठ वकील अनमोल रतन सिद्धू के जरिए दायर अपनी याचिका में कहा कि उन्हें, उनकी पत्नी रुचिका अग्रवाल और उनकी दो नाबालिग बेटियों की जान को चंडीगढ़ की सांसद से खतरा होने की आशंका है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उनके और प्रतिवादियों के बीच कुछ वित्तीय मुद्दे थे जो इस आशंका का कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता के जरिए खेर के सहयोगी सहदेव सलारिया के संपर्क में आए।

उन्होंने दावा किया कि खेर ने उन्हें निवेश के लिए 8 करोड़ रुपये दिए थे और वह पहले ही दो करोड़ रुपये लौटा चुके हैं और शेष लौटाना बाकी है। याचिका में कहा गया है कि बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण, याचिकाकर्ता ने निवेश पर मुनाफा अर्जित करने और पैसे लौटाने के लिए समय मांगा।

इसमें कहा गया है कि उन्हें तुरंत ब्याज सहित पैसे लौटाने की धमकी दी गई और खेर तथा उनके सहयोगी द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है। लोक अभियोजक मनीष बंसल ने अदालत के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता या उनकी पत्नी या उनकी नाबालिग बेटियों की ओर से किसी भी थाने में इस संबंध में कोई शिकायत नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि ऐसी किसी भी धमकी के मामले में, ऐसे मामलों की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 112 है, लेकिन न तो याचिकाकर्ता और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया है।

याचिकाकर्ता के वकील सिद्धू ने दलील दी कि ‘‘प्रतिवादी नंबर दो (खेर) की ‘प्रोफाइल’ को देखते हुए, यदि वे सीधे इस अदालत में आए हैं, तो यह उनके जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है।’’ मामले के गुण-दोष और याचिका की विचारणीयता पर टिप्पणी किए बिना, अदालत ने 11 दिसंबर के अपने आदेश में कहा, ‘अगर यह अदालत फिलहाल उन्हें सुरक्षा नहीं देती है, तो यह संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं करने के समान होगा।’’

इसके साथ ही अदालत ने संबंधित पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारी को एक सप्ताह के लिए याचिकाकर्ता को उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता को अब सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है, तो सुरक्षा एक सप्ताह से पहले भी हटायी जा सकती है।

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