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11 साल बाद मन्नतों से हुआ बच्चा, चाचा नेहरू अस्पताल में इलाज के दौरान मौत, परिजन का हंगामा

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इंदौर। ग्यारह साल बाद मन्नतों के बाद हुए इकलौते बेटे की शुक्रवार को इंदौर के चाचा नेहरू अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मां रानी और दादी राजकुमारी शव से लिपटकर रोते रही, तो पिता बाहर गलियारे में बैठकर बेटे की याद में बिलखते रहा। आसपास खड़े स्वजन उन्हें संभालते रहे, लेकिन उनके चेहरे पर डाक्टरों के खिलाफ गुस्सा साफ नजर आ रहा था। स्वजन का आरोप है कि हमारा बच्चा स्वस्थ था, नर्स ने 15 मिनट में उसे तीन इंजेक्शन लगा दिए, जिससे उसकी मौत हो गई।

दरअसल, शरद पुत्र प्रकाश बिल्लौरे (3) निवासी रुस्तम का बगीचा को गुरुवार रात में दस्त लग गए थे। उसे उपचार के लिए शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे एमजीएम मेडिकल कालेज के चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहां सुबह 11 बजे उसे उल्टी होने लगी। पिता नर्स को बुलाकर लाए जिसने बच्चे को इंजेक्शन लगाया। इसके बाद उसकी मौत हो गई।

परिजन का आरोप- इंजेक्शन लगाने के पहले तक ठीक था

बच्चे की मौत के बाद परिवार के लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और जमकर हंगामा किया। पुलिसकर्मी भी मौके पर समझाइश के लिए पहुंचे, लेकिन लोग डाक्टरों को बुलाने की मांग पर अड़े रहे। बच्चे की बड़ी मां रंजीता ने बताया कि शादी के 11 साल बाद शरद हुआ था। वह भी काफी मन्नतों के बाद हुआ था। बच्चे को घर पर सिर्फ दस्त लगे थे, वह अस्पताल में ठीक था। सभी से बातें भी कर रहा था। जैसे ही उसे इंजेक्शन लगाया, उसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और मौत हो गई। इसके बाद नर्स बच्चे की फाइल लेकर वहां से चली गई।

पांच घंटे तक अस्पताल में हंगामा करते रहे स्वजन

बच्चे की मौत सुबह 11 बजे हुई थी। इसके बाद बड़ी संख्या में स्वजन वहां एकत्रित हो गए। डाक्टरों को बुलवाने की मांग करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। पहले उन्होंने वार्ड के बाहर हंगामा किया और उसके बाद गेट के सामने बैठ गए। करीब चार बजे स्वजन पंचनामा बनवाने के लिए तैयार हुए।

उल्टी-दस्त बंद नहीं हो रहे थे

बच्चा ढाई साल का था। बुखार और पेट में इंफेक्शन के चलते गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हुआ था। उसके उल्टी-दस्त बंद नहीं हो रहे थे। डाक्टरों की टीम ने बच्चे को बचाने का पूरा प्रयास किया। -डा. निर्भय मेहता, प्रोफेसर, शिशु रोग विभाग

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