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प्रदेश के तीन महानगरों को मिली वंदे भारत, ग्वालियर के हिस्से में इंतजार

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प्रियंक शर्मा.ग्वालियर। चुनावी साल में सौगातों की झड़ी लग रही है। मध्यप्रदेश के तीन महानगर वंदे भारत एक्सप्रेस से जुड़े हुए हैं। भोपाल से इंदौर और जबलपुर तक वंदे भारत ट्रेनें दौड़ रही हैं, लेकिन ग्वालियर के हिस्से में इंतजार है। ग्वालियर वंदे भारत का सिर्फ हाल्ट स्टेशन है। भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से हजरत निजामुद्दीन जाने वाली वंदे भारत का सिर्फ दो मिनट का हाल्ट है। ग्वालियर से इंदौर ट्रेनों का अभाव है। ग्वालियर से इंदौर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस दौड़नी चाहिए।

इंदौर सांसद ने ग्वालियर-इंदौर के बीच नई ट्रेन चलाने रेल मंत्री को पत्र लिखा है, जबकि ग्वालियर सांसद लंबे समय से इस ट्रैक पर ट्रेन ट्रैफिक और गति बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 27 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल से इंदौर और भोपाल से जबलपुर के बीच वंदे भारत को हरी झंडी दिखाई थी। गत अप्रैल माह में भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से हजरत निजामुद्दीन वंदे भारत ट्रेन की शुरू की गई, जिसमें ग्वालियर को दो मिनट का हाल्ट है। ग्वालियर से भोपाल और दिल्ली के लिए हर आधे से एक घंटे के बीच ट्रेन है। ऐसे में वंदे भारत एक्सप्रेस की विशेष उपयोगिता नहीं है। वहीं ग्वालियर से इंदौर ट्रैक पर ट्रेनें कम हैं। इस ट्रैक पर अब वंदे भारत एक्सप्रेस दौड़ाने की मांग की जा रही है।

ये फायदा: 565 किमी के सफर में पांच घंटे लगेंगे

ग्वालियर-इंदौर ट्रैक पर ट्रेनें 110 से 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकती हैं। इतनी रफ्तार से ही वंदे भारत एक्सप्रेस भोपाल से दिल्ली के बीच दौड़ती है, जबकि इस ट्रैक पर दिनभर ट्रेनों का आवागमन होता रहता है। इंदौर ट्रैक पर इतनी ट्रेनें नहीं हैं। इस कारण यहां ट्रेन की गति बरकरार रह सकती है और 565 किमी का सफर साढ़े पांच घंटे में पूरा हो सकता है। यह ठीक उतना ही समय है, जितना शताब्दी एक्सप्रेस ग्वालियर से भोपाल के लिए लेती है। ये ट्रेन अगर सुबह के समय इंदौर के लिए रवाना हो, तो रात तक फिर वापस ग्वालियर पहुंच सकती है। इससे दोनों शहरों के यात्रियों को लाभ होगा और कनेक्टिविटी भी बेहतर हो जाएगी।

अभी भोपाल होकर इंदौर जाते हैं लोग

वर्तमान में शहर के कई व्यापारी, नौकरीपेशा और छात्र इंदौर पहुंचने के लिए भोपाल का रास्ता अपनाते हैं। दरअसल, ग्वालियर से भोपाल और भोपाल से इंदौर की कनेक्टिविटी बेहतर है। ग्वालियर से रात के समय ही ट्रेनें इंदौर जाती हैं, जबकि बसें भी रात को ही इंदौर के लिए रवाना होती हैं। ऐसे में लोगों को मजबूरन रात के समय ही सार्वजनिक परिवहन के इन साधनों से इंदौर रवाना होना पड़ता है। जिन लोगों को जरूरी काम से दिन के समय जाना है, वे निजी चार पहिया वाहन या फिर भोपाल के लिए रवाना होते हैं। वहां से बस या ट्रेन के जरिए इंदौर जाते हैं।

प्रदेश के तीन महानगरों के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही है। ग्वालियर और इंदौर के बीच एक हाइ स्पीड ट्रेन की जरूरत है। यह हाइ स्पीड वंदे भारत ट्रेन हो तो इससे दोनों शहरों को लाभ होगा। हम जल्द ही इस मांग को बड़े स्तर पर उठाएंगे और उम्मीद है, जल्द ही यह पहल सार्थक होगी।

डा. प्रवीण अग्रवाल, अध्यक्ष चैंबर आफ कामर्स, ग्वालियर

किसी भी नई ट्रेन के संचालन का निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा ही किया जाता है। जनप्रतिनिधियों की मांगों को जोनल मुख्यालय के माध्यम से बोर्ड को अवगत कराया जाता है। इसके बाद वहीं से नई ट्रेन के संचालन के निर्णय होते हैं। इस मामले में रेलवे बोर्ड जो भी निर्णय लेगा, उसका पालन किया जाएगा।

हिमांशु शेखर उपाध्याय, सीपीआरओ, प्रयागराज मुख्यालय उत्तर मध्य रेल

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