भोपाल। मध्य प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को दी जाने वाले गणवेश (यूनिफार्म) की राशि अब सीधे महिला स्व-सहायता समूहों को नहीं दी जाएगी। इसके स्थान पर यह राशि आजीविका मिशन के राज्य स्तरीय कार्यालय को दी जाएगी।
50 प्रतिशत राशि क्रियाशील समूहों को मिलेगी
राज्य इकाई 50 प्रतिशत राशि क्रियाशील समूहों को देगी और शेष राशि का भुगतान गणवेश की गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद किया जाएगा। आजीविका मिशन और स्कूल शिक्षा विभाग की संयुक्त निगरानी और गुणवत्ता समिति गठित होगी। व्यवस्था में यह परिवर्तन गणवेश वितरण में स्व-सहायता समूहों के नाम पर होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए किया जा रहा है। विभागों के बीच सैद्धांतिक सहमति के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव निर्णय के लिए कैबिनेट भेज दिया है।
2018 से गणवेश प्रदाय किए जा रहे
प्रदेश में वर्ष 2018 से गणवेश प्रदाय करने का काम ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों को देने का निर्णय लिया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सीधे स्व-सहायता समूहों के बैंक खातों में राशि जमा कराई जाती है और गणवेश निर्माण की प्रक्रिया में आजीविका मिशन के राज्य और जिला स्तरीय अमले की भूमिका मात्र निगरानी तक सीमित रहती है।
इस कारण लिया यह फैसला
वित्तीय नियंत्रण न होने से उत्तरदायित्व के निर्धारण में परेशानी होती है। इसे ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने यह प्रस्तावित किया है कि गणेवश की राशि आजीविका मिशन की राज्य इकाई को दी जाए। 50 प्रतिशत राशि समूहों को अग्रिम दी जाए और गणवेश की गुणवत्ता का परीक्षण होने के बाद शेष राशि दी जाए। इस व्यवस्था को लेकर अंतिम निर्णय अब कैबिनेट में होगा।
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