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भविष्य के दिग्गजों को आइआइटी ने दी दीक्षा 554 विद्यार्थियों ने प्राप्त की डिग्री

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इंदौर: देश के दिग्गज संस्थानों में शुमार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर ने शनिवार को अपना 11वां दीक्षा समारोह मनाया। इसमें उन प्रतिभावान विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया, जो आने वाले समय में प्रौद्योगिकी के मामले में देश का नेतृत्व करेंगे। समारोह में 554 विद्यार्थियों को डिग्री दी गई। वहीं तीन को स्वर्ण पदक व पांच को रजत पदक से सम्मानित किया गया। डिग्री और पदक पाने वाले विद्यार्थियों के चेहरे पर आने वाले समय में देश के लिए कुछ करने का जज्बा नजर आया।

सभागार में उपस्थित प्रोफेसरों और विद्यार्थियों के गरिमामय व्यवहार ने एक ऐसा माहौल तैयार किया, जिसे देख लगा कि राष्ट्रीय स्तर के इस संस्थान से देश को दिशा देने वाले विद्यार्थी निकलते हैं। विशेष यह बात रही कि इस समारोह में आइआइटी इंदौर में अब तक की सबसे बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। यहां पांच कोर्स के विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त की।

समारोह में कुल 554 डिग्री प्रदान की गईं, जिनमें बीटेक के 297, एमएससी के 101, एमटेक के 62, एमएस रिसर्च के 12 और पीएचडी के 82 छात्र शामिल रहे। इस अवसर पर लीबनिज विश्वविद्यालय हनोवर जर्मनी के अध्यक्ष डा. वोल्कर इपिंग मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम के अध्यक्ष एक्सिलर वेंचर्स के सह-संस्थापक इंफोसिस सेनापति कृश गोपालकृष्णन रहे। इस अवसर पर शासी मंडल के अध्यक्ष प्रो. दीपक बी फाटक भी मौजूद थे।

99 प्रतिशत पसीना, एक प्रतिशत प्रेरणा

आइआइटी निदेशक सुहास एस जोशी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, मुझे पूरा यकीन है कि आपने अपने संस्थान से जो सीखा है, वह आपको कार्यक्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ लोगों के बीच खड़े होने में मदद करेगा। आपको बस खुद पर और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना होगा। इसी के जरिए आप अपने जीवन का आगे का रास्ता तय करेंगे। मैं हमेशा कहता हूं कि 99 प्रतिशत पसीना और एक प्रतिशत प्रेरणा आपको सफलता की ओर ले जाते हैं। साथ ही कड़ी मेहनत करने से कभी नहीं डरना चाहिए। जल्द ही आप सभी संस्थान के पूर्व छात्र बन जाएंगे। आपको याद रखना चाहिए कि अब आप संस्थान के ब्रांड एंबेसडर हैं और संस्थान की प्रतिष्ठा आपके हाथ में हैं। आप सभी को हमेशा अपने ज्ञान की सीमाओं का विस्तार करते रहना चाहिए और इसे मानव जाति की अच्छी सेवा के लिए उपयोग में लाना चाहिए। संस्थान के दरवाजे आप सभी के लिए सदैव खुले रहेंगे। हमसे मिलते रहें और हमें बहुमूल्य प्रतिक्रिया देते रहें।

नए कार्यक्रम डिजाइन कर रहा आइआइटी

आयोजन में बताया गया कि आइआइटी इंदौर में कई नए कार्यक्रम डिजाइन किए जा रहे हैं। शिक्षा को समग्र बनाने के लिए नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं तथा शिक्षण और सीखने के नए तरीके भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इसके चलते वर्ष 2023-24 से अंतरिक्ष विज्ञान और इंजीनियरिंग में चार नए बीटेक कार्यक्रम केमिकल इंजीनियरिंग, गणित कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग भौतिकी शुरू हुए हैं। एमटेक प्रोग्राम के छह स्पेशलाइजेशन का विस्तार किया जाएगा। संस्थान नौ बीटेक, 15 एमटेक प्रोग्राम व छह एमएस प्रोग्राम भी प्रस्तुत करता है।

जर्मनी से साझा प्रोफेसरशिप की शुरुआत

मुख्य अतिथि लीबनिज विश्वविद्यालय हनोवर जर्मनी के अध्यक्ष डा. वोल्कर इपिंग ने कहा कि आइआइटी इंदौर के साथ एमओयू करने के बाद हम कई प्रयोग कर रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने कहा कि शेयर्ड प्रोफेसरशिप की शुरुआत करने की योजना है। अंडर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत हमारे प्रोफेसर आइआइटी इंदौर में आकर पढ़ा सकते हैं और यहां के प्रोफेसर हैनवोवर में जाकर पढ़ा सकते हैं। निदेशक सुहास जोशी ने बताया कि अब संस्थान द्वारा हाइब्रिड व्हीकल टेक्नोलाजी पर काम करने का भी विचार है।

पीड़ित बच्ची को देखकर लिया सेवा शोध का संकल्प

पीएचडी के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले जशप्रीत कौर ने कहा कि मैंने जब एक छोटी बच्ची को कैंसर से पीड़ित देखा, उस वक्त मेरे साथ खड़े मेरे नानाजी ने कहा कि तुम डाक्टर बनकर इस बीमारी का उपचार क्यों नहीं करती। मैंने यह बात गांठ बांध ली और बीटेक में बायोटेक लिया। इसके बाद एमटेक के दौरान बायोटेक में शोध किया और गोल्ड मेडल जीता। फिर तय किया कि इसी क्षेत्र में आगे जाना है। 2017 में डा. अभिजीत जोशी के गाइडेंस में पीएचडी की। उसके लिए गोल्ड मेडल मिलना उपलब्धि है। बता दें कि जशप्रीत ने नैनो मेडिसिन पर रिसर्च किया है। इन दवाइयों का असर 24 घंटे रहता है और इलाज में प्रभावी भी होती हैं। अन्य दवाइयों का असर जल्द खत्म हो जाता है, जिससे मरीज को दर्द सहना पड़ता है।

कैंसर का डर मिटाना चाहती हूं

रसायनशास्त्र विभाग की सृजिता पाल को दो वर्षों के मास्टर्स प्रोग्राम में उच्चतम सीपीआइ हासिल करने वाली सर्वश्रेष्ठ महिला छात्रा के रूप में ‘बूटी फाउंडेशन गोल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया। सृजिता ने बताया कि मेरे नानाजी का निधन कैंसर से हुआ था। उसके बाद से मेरे घर पर कैंसर को लेकर एक डर का माहौल था। इसी के चलते मैं इस फील्ड में रिसर्च कर ऐसी दवा बनाना चाहती हूं, जो इलाज में मदद कर सके। मेरे दादाजी का सपना था कि मुझे गोल्ड मेडल मिले, जो आज सच हुआ।

हर दिन नया सीखने का प्रयास

कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग के विद्यार्थी पूर्णदीप चक्रवर्ती को सभी स्नातक डिग्री प्राप्तकर्ताओं में से सर्वश्रेष्ठ अकादमिक प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से कंप्यूटर साइंस में रुचि थी। हालांकि कालेज में मैंने सबसे पहले इलेक्ट्रिकल में प्रवेश लिया और पांच ब्रांचों में टाप किया। इसके बाद कम्प्यूटर साइंस ले लिया। पूर्णदीप कहते हैं- मेरी अभी सीखने की उम्र है और मैं हर दिन कुछ नया सीखना चाहता हूं। पिता पुर्नेंदु चक्रवर्ती ने कहा कि जो कुछ बेटा करना चाहता था, हमने उसमें सहयोग किया।

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