ग्वालियर। सर्दी का मौसम आते ही डाग बाइट के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं। डाग बाइट के 25 से 30 केस रोजाना आ रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह मानी जा रही है श्वान का सर्दी में ब्रीडिंग सीजन का होना। एक हजार बिस्तर अस्पताल में अब तक इलाज के लिए 982 लोग पहुंचे हैं। इनमें नए केस 325 और पुराने 657 हैं। इसके साथ ही जिला अस्पताल मुरार में भी रोजाना 10 से 15 केस पहुंच रहे हैं।
श्वान के हमले बढ़ने से रात को काम से आने-जाने वाले लोगों के मन में डर बैठा हुआ है। आलम यह है कि रात को शहर में श्वान झुंड बनाकर खड़े रहते हैं और जैसे ही कोई व्यक्ति उनके पास से गुजरता है तो वह अचानक से हमला कर उन्हें घायल कर देते हैं। इनके हमलावर होने पर जब लोग बचकर भागने का प्रयास करते हैं तो यह श्वान उनके पीछे पड़ जाते हैं। ऐसे में कई लोग हादसे का शिकार भी हो जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्मी के मौसम की अपेक्षा सर्दी में श्वान को ज्यादा भूख लगती है। रात में भौंकने के कारण उनकी ऊर्जा अधिक खर्च होती है।
वहीं सर्दी के मौसम में घरों से लोग खाद्य पदार्थ कम मात्रा में फेंकते हैं। ऐसे में भूखे श्वान चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनके काटने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
नगर निगम का दावा
हर दिन 17 से 18 आवारा श्वान की नसबंदी की जा रही है। वहीं 20 से 25 श्वान रोजाना पकड़े जा रहे हैं। श्वान को पकड़ने के लिए विधानसभा क्षेत्र दक्षिण, पूर्व और ग्वालियर में एक-एक वाहन लगाया हुआ है।
हाइपर एक्टिव सीजन
सर्दी का मौसम श्वान के लिए ब्रीडिंग सीजन होता है। इसे हाइपर एक्टिव सीजन भी कहते हैं। इस दौरान इनके साथ जरा सी छेड़खानी महंगी पड़ सकती है। सर्दी के मौसम में दिन ढलने के बाद गलियों से गुजरना मुश्किल हो जाता है। आवारा श्वान कब हमला कर दें, पता नहीं होता।
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