Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

क्या यूपी में एनकाउंटर सत्ता की संजीवनी है? ददुआ-ठोकिया से अतीक के बेटे तक की कहानी

3

बहराइच हिंसा के दौरान रामगोपाल मिश्रा को गोली मारने के आरोपी सरफराज और तामील का एनकाउंटर हुआ है. कहा जा रहा है कि पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में दोनों ही आरोपी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एनकाउंटर पर सवाल उठाया है. अखिलेश ने कहा है कि सरकार नाकामी छिपाने के लिए एनकाउंटर का सहारा ले रही है. सरकार एक वर्ग को डराकर अपना हित साधना चाहती है.

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब यूपी में एनकाउंटर सत्ता के लिए संजीवनी साबित हुआ है. पहले भी कई ऐसे मौके सामने आए हैं, जब एनकाउंटर से सत्तारूढ़ पार्टियों को सीधा फायदा हुआ.

पहला एनकाउंटर शुक्ला का, CM को राहत मिली

उत्तर प्रदेश में पहला बड़ा एनकाउंटर श्रीप्रकाश शुक्ला का हुआ था. गोरखपुर के मूल निवासी शुक्ला की गिनती उन दिनों यूपी के सबसे बड़े अपराधियों में होती थी. कहा जाता है कि उस वक्त शुक्ला जिसे मारने की सुपारी लेता था, उसे मार ही देता था. ऐसे ही एक दिन शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने की सुपारी ले ली.

इंटेलिजेंस से इसकी इनपुट मिलने के बाद कल्याण सिंह हरकत में आए और आनन-फानन में यूपी पुलिस के तेजतर्रार आईपीएस अफसर अजय राज शर्मा के नेतृत्व में एसटीएफ बनाने की घोषणा कर दी. यूपी में पहली बार पुलिस के भीतर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था. एसटीएफ को उस वक्त सभी आधुनिक मुहैया उपलब्ध कराए गए थे.

शुक्ला को जब इस बात की भनक लगी, तो वो काफी सतर्क रहने लगा. हालांकि, पुलिस और शुक्ला की छुपम-छुपाई ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई. 28 सितंबर 1998 को शुक्ला का सामना एसटीएफ के अधिकारियों से हो ही गया.

गाजियाबाद के पास दोनों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई और आखिर में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया. शुक्ला के मारे जाने से मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राहत की सांस ली.

ददुआ-ठोकिया को मार मायावती ने धाक जमाई

2007 में पूर्ण बहुमत के साथ मायावती यूपी की सत्ता में आई. सत्ता में आते ही मायावती ने उस वक्त के खूंखार डकैत ददुआ-ठोकिया को निशाने पर ले लिया. ददुआ-ठोकिया को निशाने पर लेने की 2 वजहें थी. कहा जाता है कि ददुआ-ठोकिया आंतरिक तौर पर मुलायम सिंह की पार्टी के लिए काम करते थे.

दूसरी वजह मायावती की क्राइम को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी थी. मायावती ने ददुआ-ठोकिया के खिलाफ सारे घोड़े एक साथ खोल दिए.मुख्यमंत्री से आदेश मिलने के बाद एसटीएफ ने ददुआ-ठोकिया को खोजना शुरू कर दिया. ददुआ-ठोकिया का ठिकाना यूपी और एमपी के चंबल में था.

लंबी जद्दोजेहद के बाद पहले ददुआ और फिर ठोकिया एसटीएफ के एनकाउंटर में मारा गया. ददुआ-ठोकिया के एनकाउंटर को बीएसपी सुप्रीमो ने जमकर भुनाया.

इस एनकाउंटर के बाद 2008 में मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए. मायावती की पार्टी ने चंबल में इसे मुद्दा बनाया. बीएसपी को एमपी की 7 सीटों पर जीत मिली. 2003 में पार्टी को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली थी. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीएसपी बुंदेलखंड की एक सीटी जीतने में कामयाब रही.

विकास के एनकाउंटर से बीजेपी को फायदा

जुलाई 2020 में यूपी पुलिस के जवानों पर हमला करने वाला विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया. विकास का मामला दो वजहों से सुर्खियों में था. एक तो विकास सियासी तौर पर सक्रिय था और कानपुर के इलाके में उसका सिक्का चलता था.

दूसरा विकास दुबे ने अपने घर पर आए पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. विकास के एनकाउंटर ने यूपी की सियासी सरगर्मी बढ़ा दी. इस एनकाउंटर के 2 साल बाद यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए.

इस चुनाव में कानपुर जोन की 27 में से 22 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली. 2017 में यहां की 20 पर ही बीजेपी को जीत मिली थी. कानपुर जोन में बीजेपी की सीटों की संख्या में तब बढ़ोतरी हुई, जब पूरे यूपी की संख्या में गिरावट देखी गई.

अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर

फरवरी 2023 में यूपी के प्रयागराज में बीजेपी नेता उमेश पाल की हत्या हो जाती है. इस हत्या में नाम आता है- अतीक अहमद और उसके बेटे असद का. घटना के बाद असद फरार हो जाता है. सियासी बवाल मचने के बाद पुलिस हरकत में आती है और असद को खोजने निकल जाती है.

झांसी के पास अप्रैल 2023 में पुलिस को असद के लोकेशन के बारे में पता चलती है. पुलिस जब असद को पकड़ने जाती है तो मुठभेड़ शुरू हो जाता है. इस मुठभेड़ में असद मारा जाता है.

असद के मुठभेड़ के कुछ दिन बाद अतीक और उसके भाई की भी हत्या हो जाती है. यूपी के फूलपुर में अतीक का सियासी दबदबा रहा है. फूलपुर से अतीक सांसद भी रहे.

2024 के चुनाव में प्रयागराज और उसके आसपास की कौशांबी और प्रतापगढ़ में बीजेपी बुरी तरह हार जाती है, लेकिन फूलपुर में पार्टी को जीत मिलती है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.