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इंदौर। बढ़ती उम्र लोगों पर अक्सर हावी हो जाती है। उनको घुटनों और कमर में दर्द जैसी कई दिक्कतें घेर लेती हैं। मगर कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन बीमारियों को व्यायाम से हरा देते हैं। बीमारी को हराने के साथ ही भारी वजन उठाकर देश-विदेश में अपनी पहचान भी बना रहे हैं। इंदौर में चल रही राष्ट्रीय मास्टर्स पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में इसे देखा जा सकता है।

शहर के निपानिया में 21 से 26 जुलाई तक हो रही इस चैंपियनशिप में ऐसी कई बुजुर्ग महिलाएं आई हैं, जिन्होंने देश-विदेश में पदक जीते हैं। पावरलिफ्टिंग के जरिये उन्होंने अपने स्वास्थ्य को तो संभाला ही है अपने बच्चों में भी इस खेल के प्रति रुचि भी पैदा की है। वे अपने परिजनों के साथ पावरलिफ्टिंग की तैयारी कर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में पदक हासिल कर चुकी हैं।

बुजुर्ग खिलाड़ी बताती हैं कि हमने हमारे शरीर में होने वाले दर्द को पावरलिफ्टिंग की मदद से दूर किया है। कई लोगों ने हमें मना भी किया कि इस उम्र में भी कोई वजन उठाता है। यह आराम करने की उम्र होती है, लेकिन हमारे परिवार के सदस्यों ने हमारा सहयोग किया। नईदुनिया ने इन ‘चैंपियन लेडीज’ के साथ खास बातचीत की। इस खबर में पढ़िए, उन्होंने क्या कुछ कहा…

इंदौर के संजीव और मीरा राजदान 64 साल की उम्र में भी पावरलिफ्टिंग स्पर्धा में भाग ले रहे हैं। वे इस उम्र में भी कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। पहले संजीव पावरलिफ्टिंग करते थे। मगर, कोरोना काल में जब घर पर प्रैक्टिस शुरू की, तो मीरा भी इसमें शामिल हो गईं। पति से प्रशिक्षण लेकर मीरा ने भी स्पर्धाओं में भाग लिया और जीत हासिल की।

दोनों एक-दूसरे की हमेशा मदद करते रहते हैं। संजीव बताते हैं कि लोगों को हमेशा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए। जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहता है, वह बुढ़ापे तक युवाओं की तरह फिट रहता है और काम करता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि बुजुर्ग अवस्था में वजन नहीं उठाया जा सकता है। यदि आप व्यायाम करेंगे, तो यह सभी संभव है। हमें खुद को कभी यह महसूस नहीं होने देना चाहिए कि हम बुजुर्ग हैं।

डॉक्टर मां-बेटी की जोड़ी देश-दुनिया में कर रही कमाल

महाराष्ट्र की रहने वाली डॉ. पूर्णा वसंत भारदे और उनकी बेटी डॉ. शर्वरी इनामदार की जोड़ी पावरलिफ्टिंग में कमाल कर रही है। दोनों पेशे से डॉक्टर हैं और पावरलिफ्टिंग में देश-विदेश में कई पदक हासिल किए हैं। कजाकिस्तान में भी मां-बेटी की जोड़ी पदक हासिल कर चुकी है।

डॉ. पूर्णा बताती हैं कि मेरी उम्र 67 साल है। कई लोग कहते थे कि इस उम्र में यह क्या कर रही हो, लेकिन मेरी बेटी और दामाद का हमेशा सहयोग मिला है। इसी वजह से मैं इस स्पर्धा में आई हूं। बताते चलें कि डॉ. पूर्णा शासकीय अस्पताल में कार्यरत हैं और शर्वरी आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं।

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