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संगठन को बीजेपी टास्क फोर्स की क्लीन चिट, क्या यूपी में हार की वजहें कुछ और हैं?

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तीसरी बार पीएम बनने के बाद नरेन्द्र मोदी का पहला वाराणसी दौरा खत्म हो गया. यूपी के सीएम और दोनों डिप्टी सीएम ने उनका स्वागत किया. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से भी मिले. पीएम मोदी की मुलाकात वाराणसी के विधायकों से भी हुई, लेकिन यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर कोई बात नहीं हुई.

वाराणसी में इस बार पीएम मोदी सिर्फ डेढ़ लाख वोटों से जीते. आख़िर इतने कम वोटों से जीत क्यों हुई! इसकी भी कोई समीक्षा नहीं हुई. कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर किसी से कोई सवाल नहीं किया.

यूपी में बीजेपी इस बार सिर्फ 33 लोकसभा सीटें जीत पाई. उसे 29 सीटों का नुकसान हुआ. पिछले चुनाव में हारी हुई 14 सीटों में भी पार्टी बस एक सीट ही जीत पाई. पश्चिमी यूपी के अमरोहा लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी ने जीत हासिल कर ली. हारी हुई सीटों की ज़िम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल को दी गई थी. लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी कैंप में सन्नाटा पसरा है.

खराब प्रदर्शन की समीक्षा कैसे हो और कौन करे?

इस बात को लेकर लखनऊ के पार्टी ऑफिस में 13 जून को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. इसमें तय हुआ कि लोकसभा की सभी 80 सीटों की समीक्षा होगी. चाहे पार्टी की जीत हुई हो या फिर हार. इसके लिए बीजेपी के 40 नेताओं की एक टीम बनाई गई, जिसे टास्क फोर्स का नाम दिया गया है. इन्हें टास्क दिया गया है हार के सभी कारणों का पता लगाने के लिए.

टास्क फोर्स के सभी बीजेपी नेताओं को दो दो लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी. इनसे कहा गया था कि ग्राउंड पर जाकर पता करें कि पार्टी ने अच्छा क्यों नहीं किया ! इसके लिए 20 जून की डेडलाइन दी गई थी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने अमेठी की समीक्षा खुद करने का फैसला किया, जबकि संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह रायबरेली की समीक्षा करेंगे.

बैठक 13 जून को हुई लेकिन पार्टी के कई नेताओं ने अब तक लोकसभा क्षेत्रों का दौरा भी शुरू नहीं किया है. योगी सरकार में मंत्री रहे बीजेपी के सीनियर नेता महेन्द्र सिंह ने अभी काम शुरू नहीं किया है. यही हाल ग़ाज़ीपुर के ऑब्ज़र्वर विदयाभूषण का भी है. पार्टी के कुछ नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी दौरे की तैयारी में व्यस्त रहे. इन तमाम बातों का ध्यान रखते हुए बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व ने अब रिपोर्ट जमा करने की तारीख़ 25 जून कर दी है.

बीजेपी के कुछ नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार भी कर ली है. विजय बहादुर पाठक ने ग्राउंड पर जाकर अपना काम पूरा कर लिया है.

दिल्ली में होगी यूपी की फाइनल समीक्षा

यूपी की तरह ही देश के कुछ और राज्यों में भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन उम्मीद से ख़राब रहा. ऐसे राज्यों की कोर कमेटी के साथ पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की बैठकों का दौर शुरू हो गया है.

इन राज्यों में विधानसभा चुनाव भी जल्द होने हैं. महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के बीजेपी नेताओं की मीटिंग दिल्ली में हो गई है. यूपी का भी नंबर कभी भी आ सकता है. इससे पहले बीजेपी की यूपी यूनिट अपना होम वर्क पूरा कर लेना चाहती है.

क्यों हारी बीजेपी, जितने मुंह, उतनी बातें

यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन की कई वजहें बताई जा रही हैं. जितने मुंह, उतनी ही बातें. लेकिन कुछ कारणों पर आम सहमति है.सब मानते हैं कि संविधान और आरक्षण बचाने के नाम पर बीजेपी का एक बड़ा वोट बैंक इंडिया गठबंधन में शिफ़्ट हो गया. लोकसभा उम्मीदवारों के खिलाफ लोगों में नाराजगी रही.

इस बारे में पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा पीएम मोदी की लोकप्रियता पर उम्मीदवारों का एंटी इनकंबेसी हावी रहा. इस चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ता कम सक्रिय रहे. राष्ट्रवादी मुद्दों पर जाति का गुना गणित प्रभावी रहा. चुनाव लड़ने वाले कई उम्मीदवारों ने भीतरघात का भी आरोप लगाया है.

सांसद जगदंबिका पाल, साक्षी महाराज से लेकर हारे हुए उम्मीदवार आर के सिंह पटेल ने तो भीतरघात करने वाले नेताओं के नाम तक बताए हैं. टास्क फ़ोर्स में शामिल कुछ नेताओं का कहना है कि संगठन ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया. बूथ प्रबंधन,चुनाव प्रचार से लेकर रैली और रोड शो की व्यवस्था में कहीं कोई कमी नहीं रही.

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